DIOS साहब! आपके राज में एक शिक्षक का सम्मान इतना सस्ता है क्या?

## Lucknow UP
Suyash Mishra
Suyash Mishra

लखनऊ। DIOS साहब! क्या एक शिक्षक का सम्मान इतना सस्ता है। एक वर्दीधारी अपनी हनक दिखाकर उसे भरी सभा में बेइज्जत कर दे। उसे भद्दी भद्दी गालियां दे। अभद्रता करे और फिर मुस्कुराता हुआ मोबाइल खेलते हुए माफी मांग ले। क्या महज माफी मांगने भर से उसके गुनाहों को माफ किया जा सकता है। आपके राज में एक प्रिंसिपल का इस कदर अपमान हुआ और अपमान करने वाला महज माफी के चार शब्द बोलकर सब कुछ मैनेज कर सकता है।

कहते हैं देश के भविष्य के निर्माता शिक्षक हैं। हर 5 सितंबर को हम उनके प्रति अपने सम्मान को समर्पित करते हैं। लेकिन सवाल यह है कि जब हम शिक्षकों के सम्मान को बचा ही नहीं पाएंगे तो फिर शिक्षक दिवस मनाने का क्या मतलब?

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बीते मंगलवार और बुधवार को राजधानी लखनऊ के बख्शी का तालाब इंटर कॉलेज में जो कुछ हुआ वह किसी हास्यास्पद ड्रामे से कम नहीं है। मंगलवार को बख्शी का तालाब थाना क्षेत्र के प्रभारी अमरनाथ वर्मा बीकेटी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य से एक बच्चे का एडमीशन कराने का दबाव बनाने पहुंचे। प्रधानाचार्य ने यह कहते हुए उन्हें मना कर दिया कि अब सीटें भर चुकी हैं। फिर भी आप बच्चा लेकर आईए हम देखेंगे। प्रिंसिपल साहेब की यह बात इंस्पेक्टर अमरनाथ वर्मा को नागवार गुजरी और वह अभद्रता करने लगे। उन्होंने कहा कि मैं इस क्षेत्र का प्रभारी हूं मेरा ही एडमीशन तुम नहीं करोगे। बात यही नहीं रुकी थाना प्रभारी ने अभद्र भाषा बोलते हुए कहा कि मैं तुम्हें देख लूंगा। इस दौरान कई अध्यापकों ने मौके पर इंस्पेक्टर को सरलता से बात करने की सलाह दी लेकिन वह अभद्रता करते हुए बाहर चले गए।

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अगले दिन मामला सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया। प्रिंसिपल साहेब ने डीएम और एसएसपी के पीआरओ को पूरा वाक्या बताया तो इंस्पेक्टर अमरनाथ वर्मा के पेंच कसे गए और अगली सुबह वह माफी मांगने आ गए।

पहले भी अनियंत्रित हो चुकी है इंस्पेक्टर अमरनाथ वर्मा की भाषा!

लेकिन सवाल यह है कि क्या महज माफी मांग लेने से उनके गुनाह खत्म हो सकते हैं। अगर यही वाक्या प्रिंसिपल ने इंस्पेक्टर से किया होता तो क्या होता? बहरहाल इस पूरे मामले में पैचअप न कर विभागीय मुकदमा लिखवाना चाहिए था ताकि भविष्य में ऐसा करने की सोचने वालों को सबक मिल सके।