राजनीति संकट से जूझ रही NCP का बड़ा दावा, 51 विधायकों के साथ मिलकर सरकार बनाना चाहती थी बीजेपी

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(www.arya-tv.com) शरद पवार की पार्टी एनसीपी फिलहाल राजनीति के सबसे बड़े संकट से जूझ रही है। भतीजे अजित पवार और करीबी नेताओं की बगावत के बाद शरद पवार बैकफुट पर दिख रहे हैं। एनसीपी के बड़े नेता और सांसद प्रफुल्ल पटेल भी अजित पवार खेमे के साथ हैं, जिन्हें शरद पवार ने पार्टी से निष्कासित कर दिया है। प्रफुल्ल पटेल ने इसी बीच अब एक बड़ा दावा भी किया है, जिसमें उन्होंने कहा कि पिछले साल जब एमवीए सरकार गिर रही थी, तब पार्टी के 54 विधायकों में से 51 विधायकों ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने की बात कही थी।

एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि तब हमारे पास एक मौका था, लेकिन एनसीपी लीडरशिप सही वक्त पर फैसला नहीं ले पाया। इसके बाद एकनाथ शिंदे ने मौके को भुनाया और देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर सरकार बना ली।

प्रफुल्ल पटेल ने दावा किया कि एनसीपी विधायकों के अलावा पार्टी के तमाम नेता और जमीनी स्तर के कार्यकर्ता भी चाहते थे कि वो सरकार का हिस्सा बनें। पटेल ने कहा कि कई विधायकों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों में बजट और वित्तीय मदद के लिए समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था, जिससे वो ठीक से काम नहीं कर पा रहे थे। अब सरकार के साथ मिलकर एनसीपी जनता से जुड़े तमाम मुद्दों को हल करने पर काम करेगी।

प्रफुल्ल पटेल ने कैबिनेट विस्तार का जिक्र करते हुए कहा कि अगले एक या दो दिन में पोर्टफोलियो के बंटवारे का काम पूरा हो जाएगा। इसके बाद शिवसेना, बीजेपी और एनसीपी के और विधायकों को कैबिनेट में जगह दी जाएगी।

बता दें कि प्रफुल्ल पटेल एनसीपी के उन बड़े नेताओं में शामिल थे, जो शरद पवार के काफी करीबी माने जाते थे। पिछले ही महीने शरद पवार ने सुप्रिया सुले के साथ उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था। हालांकि आखिरकार पटेल ने शरद पवार का हाथ छोड़कर अजित पवार के साथ जाने का फैसला किया।

शरद पवार से बगावत के बाद प्रफुल्ल पटेल ने कहा था कि महाराष्ट्र की शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल होने का फैसला सामूहिक है जो पार्टी की तरफ से राजनीतिक स्थिरता और राज्य का विकास सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है।

पटेल ने कहा कि देश ने पिछले नौ सालों में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में प्रगति की है। मैं विपक्षी दलों की बैठक के लिए पटना गया था। मैंने देखा कि वहां क्या हुआ। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में इस बात को लेकर भ्रम में है कि राहुल गांधी नेता हैं या नहीं। हमें नहीं पता कि उस पार्टी को कौन चलाता है।