तालिबानियों की नई सरकार की घोषणा के बाद नेशनल रजिस्टेंस फ्रंट बनाएगी नई सरकार

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(www.arya-tv.com) अफगानिस्तान में बतालिबानियों की नई सरकार के गठन की घोषणा के साथ ही नेशनल रजिस्टेंस फ्रंट ने भी अपना नया मोर्चा खोल दिया है। फ्रंट के मुताबिक जल्द ही अफगानिस्तान में वह अपनी नई सरकार का न सिर्फ गठन करेंगे बल्कि अपनी नई कैबिनेट भी बनाएंगे। अहमद मसूद की अगुवाई वाले फ्रंट ने दुनियाभर के तमाम संगठनों से अपील करते हुए तालिबान में बनी आतंकियों की सरकार को मान्यता ना देने की गुजारिश की है। वहीं अफगानिस्तान के संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि ने घोषणा करते हुए कहा कि अब आधिकारिक तौर पर अफगानिस्तान में दो सरकारें हैं। इसमें एक आतंकियों की सरकार ‘एमिरेट्स ऑफ तालिबानिस्तान’ है । जबकि दूसरी ‘रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान’ की सरकार है। 

अफगानिस्तान में तालिबानियों की सरकार बनने के बाद जिस तरीके से हालात बने हैं निश्चित तौर पर गृहयुद्ध जैसे ही हैं। जिस तरीके से पंजशीर घाटी के अहमद मसूद की नेशनल रजिस्टेंस फ्रंट के आवाहन पर पूरे अफगानिस्तान में विद्रोह शुरू हो गया है वह तालिबानी सरकार के लिए निश्चित तौर पर चुनौती बना हुआ है। नार्दन रजिस्टेंस फ्रंट ने एक अपील जारी करते हुए दुनिया भर के सभी समुदायों से यह मांग की है कि तालिबानियों की बनी आतंकी सरकार को मान्यता न दी जाए।

फ्रंट के बयान के मुताबिक पंजशीर घाटी से शुरू हुआ स्वतंत्रता का आंदोलन पूरे अफगानिस्तान के सभी 34 राज्यों में फैल चुका है। इसलिए लोगों के मिल रहे अपार जनसमर्थन के साथ यह तय किया गया है कि बहुत जल्द भविष्य में अफगानिस्तान में एक नई सरकार नेशनल रजिस्टेंस फ्रंट की ओर से बनाई जाएगी। इसके लिए अहमद मसूद की अगुवाई में अफगानिस्तान के महत्वपूर्ण राजनीतिक शख्सियतों और पॉलिसी एक्सपर्ट से राय मशविरा भी किया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि अगले कुछ दिनों में दुनिया भर से मिलने वाले समर्थन के हिसाब से अहमद मसूद का नेशनल रजिस्टेंस फ्रंट आगे की रणनीति तय करते हुए अपनी सरकार बनाने की घोषणा करेगा। 

अफगानिस्तान के यूनाइटेड नेशन में स्थायी प्रतिनिधि नासिर अंदिशा ने बयान जारी करते हुए कहा कि अफगानिस्तान में अब दो सरकारें हैं। संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व करने वाले नासिर ने कहा कि एक सरकार एमिरेट्स ऑफ तालिबनिस्तान की है जबकि दूसरी सरकार रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान की है।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय में नासिर के इस बयान को बहुत गंभीरता से लिया जा रहा है। विदेशी मामलों के जानकार कर्नल सुमेश सहरावत बताते हैं अभी भी संयुक्त राष्ट्र में तालिबानियों की सरकार को मंजूरी और मान्यता नहीं मिली है। ऐसी दशा में अफगानिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि का यह बयान बहुत मायने रखता है। कर्नल सहरावत के मुताबिक निश्चित तौर पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की संवेदनाएं अफगानिस्तान और अफगानी लोगों के लिए ही है। यही वजह है कि अहमद मसूद के नेतृत्व वाले फ्रंट का नई सरकार और अपनी खुद की कैबिनेट बनाने के फैसले को दुनिया के ज्यादातर मुल्क सपोर्ट करेंगे।

अफगानिस्तान में बनी तालिबानियों की नई आतंकी सरकार के विरोध में लगातार विद्रोह पनपता जा रहा है। अमर उजाला डॉट कॉम को अफगानिस्तान के स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के मुताबिक अफगानिस्तान के सभी राज्यों के सभी जिला मुख्यालयों पर लगातार विरोध प्रदर्शन बुधवार को भी जारी है। स्थानीय लोगों के मुताबिक अफगानिस्तान में जिस तरीके से आतंकियों की सरकार बनी है वह सरकार अफगानिस्तान के हितों की रक्षा करने में नाकाफी है।

दरअसल वहां पर गुस्सा पाकिस्तान के सबसे ज्यादा अफगानिस्तान में दखल देने को लेकर भी बना हुआ है। स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के मुताबिक पंजशीर घाटी से शुरू हुआ आजादी की लड़ाई का मूवमेंट पूरे अफगानिस्तान में फैलने लगा है। हालांकि लोगों का कहना है इसकी कीमत उनको अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है लेकिन वह आजादी की लड़ाई में आखरी सांस तक लड़ते रहेंगे। स्थानीय लोगों का कहना है कि अहमद मसूद और अफगानिस्तान की पुरानी सरकार को देश में सरकार के पुनर्गठन के लिए प्रयास करते रहना चाहिए बल्कि जल्द से जल्द अपनी कैबिनेट की मंजूरी देकर नई सरकार बना लेनी चाहिए। क्योंकि उनका कहना है वह अपने देश के लोगों को आतंकियों के हाथ में नहीं सौंपेंगे। खासतौर पर वह आतंकी सरकार जिसका समर्थन दुनिया में आतंकियों की शरण स्थली बना पाकिस्तान कर रहा है।