मेरठ ।(www.arya-tv.com) दिल्ली- मेरठ एक्सप्रेस-वे निर्माण कार्य में लगे 900 श्रमिक लॉकडाउन घोषित होते ही अपने घरों को चले गए थे। इसकी वजह से यहां काम प्रभावित हो रहा है। अब इन श्रमिकों को वापस लाने की कवायद शुरू की गई है। मंगलवार को निर्माण कार्य से संबंधित ठेकेदारों की बैठक बुलाई गई है। एक्सप्रेस-वे के 32 किलोमीटर मेरठ से डासना तक काम पूरा करने के लिए 1400 श्रमिक लगाए गए थे। लॉकडाउन घोषित हुआ तो 900 श्रमिक घर चले गए। 400 श्रमिकों के रुकने की प्लांट में ही व्यवस्था की गई।
आसपास के निवासी 100 श्रमिक भी काम पर नहीं आ रहे थे। अब काम शुरू हुआ तो आसपास के निवासी श्रमिक को काम पर आ गए, लेकिन 900 श्रमिकों के बारे में अभी कोई सूचना नहीं है। समय से काम पूरा करने के लिए संबंधित ठेकेदार अब इन श्रमिकों को वापस लाने पर मंथन करेंगे।
श्रमिकों के सहमत होते ही उनको लाने के लिए जिला प्रशासन और एनएचएआइ से मिलकर परिवहन की व्यवस्था की जाएगी। अंतरराज्यीय समस्या के समाधान के लिए शासन से भी वार्ता की जाएगी। एनएचएआइ और कार्यदायी कंपनी जीआर इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड की कोशिश है कि बरसात के मौसम से पहले ही मिट्टी और गिट्टी से संबंधित काम पूरा हो जाए। श्रमिक नहीं आए तो काम की गति धीमी रहेगी और दिसंबर तक किसी भी हाल में काम पूरा नहीं हो पाएगा।
बताते चलें कि जो श्रमिक घर चले गए हैं, कार्यदायी कंपनी उनको भी बिना काम लगातार भुगतान कर रही है। प्रशासनिक रवैये को देखते हुए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के ग्रुप जनरल मैनेजर ने सोमवार को मंडलायुक्त को फोन किया और परतापुर में इस प्रोजेक्ट से संबंधित फैक्ट्री को संचालन की अनुमति देने की मांग की। दरअसल, परतापुर स्थित एक फैक्ट्री में इस प्रोजेक्ट के लोहे के गर्डर तैयार होने हैं, लेकिन फैक्ट्री को चलाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। जबकि इसी परतापुर क्षेत्र में दर्जनों फैक्ट्रियों को संचालन की अनुमति दी जा चुकी है।
इसके लिए 11 मई को आवेदन किया था, लेकिन तब जिला उद्योग केंद्र ने ही खारिज कर दिया था। अब जब परतापुर क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन से बाहर किया गया है तब फिर आवेदन किया गया, लेकिन अनुमति नहीं मिली। जबकि प्रधानमंत्री के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट का कार्य प्राथमिकता के आधार पर करना चाहिए था। समय रहते अगर गर्डर नहीं बन पाएगा तो बुलंदशहर में गंगनहर पर जो पुल प्रस्तावित है उसका काम बारिश के बाद ही हो पाएगा। जबकि उसे बारिश से पहले पूरा किया जाना है। बारिश में पानी ज्यादा होने से गर्डर लांचिंग नहीं हो पाएगी। बहरहाल, मंडलायुक्त अनीता सी मेश्राम ने सीडीओ की अध्यक्षता वाली समिति से अनुमति देने के संबंध में बात करने का आश्वासन दिया है। प्रोजेक्ट हेड रमन चौधरी ने बताया कि उम्मीद है कि मंगलवार को संबंधित फैक्ट्री को गर्डर बनाने के लिए अनुमति मिल जाएगी।