आक्रोश, अर्द्धसत्य और आरोहण जैसी फिल्मों में दमदार अभिनय से अपनी पहचान बनाने वाले ओमपुरी का 18 अक्टूबर को जन्मदिन होता है। ओम पुरी का साल 2017 में 66 साल की उम्र में निधन हो गया था। पंजाबी परिवार में जन्मे ओमपुरी के पिता भारतीय रेलवे में काम करते थे।
ओम पुरी ने मराठी फिल्म घासीराम कोतवाल से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। साल 1983 की फिल्म अर्ध सत्य से वे लोगों की निगाह में आए। ओम पुरी 6 साल की उम्र में टी स्टॉल पर चाय के बर्तन साफ करते थे। लेकिन एक्टिंग की ललक ने उन्हें नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा तक पहुंचाया।
एक इंटरव्यू में ओम पुरी ने अपनी मौत के बारे में बात की थी और कहा था कि उनकी मौत अचानक ही होगी। मार्च 2015 में लिए गए इस इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, ”मृत्यु का तो आपको पता भी नहीं चलेगा। सोए-सोए चल देंगे। (मेरे निधन के बारे में) आपको पता चलेगा कि ओम पुरी का कल सुबह 7 बजकर 22 मिनट पर निधन हो गया” और ये कहकर वो हंस दिए। हुआ भी कुछ ऐसा ही था।
ओम की पत्नी नंदिता ने उन पर एक किताब लिखी है ‘अनलाइकली हीरो: ओम पुरी’। इस किताब में उन्होंने बताया है कि ओम पुरी एक रात ओम अपने मामा के परिवार के साथ छत पर सोए हुए थे। इस दौरान ओम ने एक औरत को गलत ढंग से छू दिया था। जब ये बात उनके मामा को पता चली तो उन्होंने ओम पुरी को थप्पड़ मारकर घर से बाहर निकाल दिया था।
‘मिर्च मसाला’, ‘जाने भी दो यारो’, ‘चाची 420’, ‘हेराफेरी’, ‘मालामाल विकली’ जैसी न जानें कितनी फिल्में हैं जिनमें वे अलग-अलग तरह के किरदारों में दिखाई देते हैं। अर्ध सत्य में दमदार अभिनय के लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। ओम पुरी का बचपन काफी गरीबी में बीता था और लंबे संघर्ष के बाद उन्होंने यह सफलता हासिल की।
ओम पुरी की मौत ने कई सवाल खड़े किए थे। राम प्रमोद मिश्रा जो कि ओम पुरी के ड्राइवर थे उन्होंने सबसे पहले ओम पुरी की लाश को देखा था। पुलिस की पूछताछ में ड्राइवर ने कहा था- ‘वो न्यूड थे। सिर पर चोट लगी थी। मैंने फौरन कुछ लोगों को फोन किए और एम्बुलेंस बुलाई।’ दरअसल ओमपुरी के सिर में डेढ़ इंच गहरा और 4 सेंटीमीटर लंबा जख्म का निशान था।