वन विभाग क्यों बनवा रहा रामायण वाटिका, जानें क्या है पूरा मामला

Bareilly Zone UP

बरेली(www.arya-tv.com) त्रेतायुग में उगने वाले पौधों की प्रजातियों को सहेजकर उनके संवर्धन के लिए वन विभाग वाटिका का निर्माण कराएगा। इसे रामायण वाटिका का नाम दिया जाएगा। शासन स्तर से निर्देश जारी होने के बाद अफसरों ने कवायद शुरू कर दी है।

बरेली में रामायण काल में कौन-कौन से पौधे उगते रहे होंगे, इसकी खोजबीन के लिए पंडित, वैद्य और विशेषज्ञों का सहयोग लिया जाएगा। रामायण वाटिका में करीब 88 प्रजातियां संरक्षित की जाएंगी।

अयोध्या में मंदिर निर्माण की गतिविधियां शुरू होने के बाद शासन ने अब मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के कालखंड में उगने वाले पौधों की वाटिका तैयार करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए सभी जिलों से रामायण काल के दौरान उगने वाले पौधों की जानकारी मांगी गई है।

रामायण में करीब 139 प्रकार के पेड़-पौधों का जिक्र है। शोध के अनुसार कई प्रजातियां पूरी तरह लुप्त हो चुकी हैं। करीब 88 प्रकार की प्रजातियां ही शेष हैं। इनमें से स्थानीय स्तर पर उगने वाले पौधों का रिकॉर्ड शासन ने मांगा है।

ताकि उन्हें वाटिका में संरक्षित कर लोगों को रामायण काल की ऐतिहासिकता से परिचित कराया जा सके। अफसरों के मुताबिक रामायण काल के पौधों की प्रजातियों को ढूंढने में काफी वक्त लगेगा। रुद्राक्ष, कल्पवृक्ष, बांस, कमल, बेल, कदम, आक, अरंडी, आंवला, शमी, गूलर, छोंकरा, अशोक, बरगद, पीपल, बेर आदि प्रजातियां सामान्य तौर पर अब भी हैं। मगर, कई ऐसी प्रजातियां भी हैं जिन्हें खोजने के लिए शोधकार्य करने वाले विशेषज्ञों, रामायण का बारीक ज्ञान रखने वाले पंडितों और जड़ीबूटी के जानकार वैद्यों का सहयोग लेना होगा।