जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव फिलहाल होने के आसार नहीं, जानिए कब हो सकते हैं चुनाव

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(www.arya-tv.com) केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में मतदाता सूची के अंतिम पुनरीक्षण का काम 10 मई तक पूरा हो जाएगा, लेकिन ज्यादातर राजनीतिक दलों को लगता लगता है कि यहां विधानसभा चुनाव में और देर लगेगी। मुख्यधारा के सभी क्षेत्रीय राजनीतिक दलों और कांग्रेस ने हाल ही में चुनाव आयोग से मुलाकात कर जम्मू-कश्मीर में जल्द विधानसभा चुनाव कराने का अनुरोध किया था। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के दौरान कहा कि एक निर्वाचित सरकार की अनुपस्थिति के कारण जम्मू-कश्मीर पिछड़ रहा है।

राज्यपाल ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा को भंग किया
भारतीय जनता पार्टी के 19 जून 2018 को गठबंधन से हटने के बाद पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पिछली निर्वाचित सरकार गिर गई थी। इसके बाद 21 नवंबर 2018 को तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा को भंग कर दिया था। संसद द्वारा 5 अगस्त 2019 को राज्य को लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के संघ शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया जिसमें जम्मू-कश्मीर में दिल्ली की तरह विधानसभा की व्यवस्था भी की गई है। इसके बाद संसद द्वारा अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त कर दिया गया।

20 जून, 2018 से जम्मू-कश्मीर में कोई निर्वाचित सरकार नहीं है। क्षेत्रीय नेशनल कांफ्रेंस (नेकां), जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी, पीपुल्स कांफ्रेंस और अवामी नेशनल कांफ्रेंस (एएनसी) जैसे राजनीतिक दलों के नेता और मध्य मार्गी कांग्रेस और माकपा के नेता भी केंद्र की भाजपा सरकार पर विधानसभा चुनाव में जानबूझकर देरी करने का आरोप लगाते रहे हैं। नेकां के नेता इन चुनावों में देरी के लिए केंद्र को दोषी ठहराने के लिए विपक्ष के अभियान में सबसे आगे रहे हैं।

अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से कोई अशांति नहीं हुई
5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद, कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी स्थानीय राजनीतिक नेताओं को हिरासत में रखा गया था। सौभाग्य से, अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से कोई अशांति नहीं हुई। अधिकारियों ने 2019 में कहा कि राजनीतिक नेताओं को सार्वजनिक विरोध-प्रदर्शन आयोजित करने से रोकने के लिए हिरासत में लिया गया था। आम तौर पर देखा जाए तो अगस्त 2019 के बाद जमीनी स्तर पर बदलाव देखने को मिला है। जनता में अशांति, पथराव, अलगाववादी द्वारा आहूत बंद, आदि रुक गए हैं।

जम्मू-कश्मीर के डीजीपी, दिलबाग सिंह ने हाल ही में कहा था कि उग्रवाद में कमी आई है, हालांकि अभी तक इसका पूरी तरह से सफाया नहीं हुआ है। पिछले साल कश्मीर में पर्यटन सीजन काफी अच्छा रहा। इस साल भी पहले साढ़े तीन महीनों में पर्यटन की शुरुआत बहुत उत्साहजनक रही है। डल और नगीन झीलों पर होटल व्यवसायी, टूर और ट्रैवल ऑपरेटर, हाउसबोट मालिक और शिकारा वाले अच्छा कारोबार कर रहे हैं।

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इस वर्ष की वार्षिक अमरनाथ यात्रा जून के अंतिम सप्ताह में शुरू होगी और अगस्त के अंत तक दो महीने तक चलेगी। गर्मी में पर्यटन सीजन और आगामी अमरनाथ यात्रा दो बड़े कारण हैं जिनकी वजह से विधानसभा चुनाव सर्दियों तक नहीं हो सकते। इस तरह दौरान विधानसभा चुनाव के लिए साल की आखिरी तिमाही ही बचती है। नगरपालिका और पंचायत चुनाव भी साल के अंत तक होने वाले हैं क्योंकि निर्वाचित शहरी और ग्रामीण निकायों का कार्यकाल जनवरी 2024 तक समाप्त हो रहा है।

इन तथ्यों और इस एहसास को देखते हुए कि देश में अप्रैल-मई 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं, जम्मू-कश्मीर के अधिकांश राजनीतिक नेताओं का मानना है कि केंद्र शासित प्रदेश में इस साल विधानसभा चुनाव बिल्कुल नहीं हो सकते। ये 2024 में लोकसभा चुनाव के साथ आयोजित किए जा सकते हैं। इस तथ्य के बावजूद भाजपा सहित हर राजनीतिक दल अपने कैडर से कह रहा है कि वह विधानसभा चुनावों की प्रत्याशा में सुरक्षा कम न करे और जमीनी स्तर की गतिविधियां शुरू करे।