रोपवे में बाधक मकान और भूखंडों के विवाद निपटाएगा वीडीए:देश के पहले अर्बन ट्रांसपोर्ट का रोड़ा हटाएगा प्रशासन

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(www.arya-tv.com) पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पहले अर्बन ट्रांसपोर्ट रोपवे का काम तेज रफ्तार से शुरू हो गया है। विकास का नए आयाम रोपवे की राह के हर रोड़े को हटाया जा रहा है। इसके लिए कई मकानों समेत कॉमर्शियल भवनों का बैनामा हो चुका है लेकिन कुछ लोगों ने कब्जेदारी बताकर न्यायालय में दस्तक दी। अब वीडीए ने उन लोगों को दस्तावेज के साथ तलब कियाहै।

वाराणसी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष अभिषेक गोयल के अनुसार शहर में निर्माणाधीन रोपवे (पब्लिक ट्रान्सपोर्ट) के लिए रामापुरा में कुछ मकान खरीदे जाएंगे। तहसीलदार सदर ने बताया कि इसमें मोहल्ला कालिया नगर, नई बस्ती, मोहल्ला मनिहारी टोला आदि के मकान शामिल हैं। इनसे संबंधित गाटे (भूमि) के स्वामित्व के संबंध में 25 जून को क्रमशः आराजी संख्या 144, 241, 550 एवं टावर संख्या 17, 23, 24 तथा 26 जून को क्रमशः आराजी संख्या 582, 830, 831 व 808 एवं टावर संख्या 25, 26 एवं 27 के संबंध में मौके पर (टावर हेतु चिह्नित भूमि पर) सुनवाई की जानी है। संबंधित कब्जेदार अपने भूस्वामित्व के संबंध में अपना अभिलेख किसी कार्य दिवस पर तहसील सदर पर प्रस्तुत होंगे तो उनके भवन की दुश्वारियों का निस्तारण किया जाएगा।

इससे पहले अप्रैल और मई में कई भवनों और जमीन की रजिस्ट्री हो गई है। चिन्हित जमीनों के काश्तकारों ने राजिस्ट्रार कार्यालय में जमीन की रजिस्ट्री की जिन्हें भुगतान भी मिल गया है। प्रोजेक्ट में आने वाले सरकारी जमीनों का भी लगभग हैंडओवर मिल गया है। बता दें कि है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट का शिलान्यास 24 मार्च को किया था और अब इस पर काम शुरू हो चुका है। भूमि अधिग्रहण, तार व पाइप शिफ्टिंग का काम तेजी से चल रहा है।

645 करोड़ रुपए की लागत से बनेगा रोपवे

यह रोपवे कैंट रेलवे स्टेशन से रथयात्रा होते हुए गोदौलिया तक बनाया जाना है। इस रुपए को बनाए जाने में करीब 645 करोड़ रुपए की लागत लगेगी। करीब 3.7 किलोमीटर की दूरी में बनाए जा रहे रोपवे के लिए 5 स्टेशनों का निर्माण किया जाना है। कैंट रेलवे स्टेशन, काशी विद्यापीठ, रथयात्रा, गिरजाघर और गोदौलिया चौराहे पर स्टेशन बनाया जाएगा।

हर स्टेशन पर काशी की कला ,धर्म और संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। देश का पहला अर्बन पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे जमीन से करीब 50 मीटर की ऊंचाई पर चलेगी। रोपवे पर 150 ट्राली लगाए जाने की तैयारी है और एक ट्राली में 10 यात्री सवार हो सकेंगे। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस प्रोजेक्ट के लिए 1.5891 हेक्टयर की जमीन का अधिकग्रहण किया जाना है। इसमें सरकारी जमीन 0.8068 हेक्टेयर की जमीन ली जा रही है। वही शेष 0.7823 हेक्टेयर की जमीन निजी और कुछ ट्रस्ट की है, जिनकी रजिस्ट्री की प्रक्रिया चल रही है।

दो साल में तैयार करने का लक्ष्य

बोलिविया देश की राजधानी लापाज़ और मैक्सिको के बाद विश्व में भारत तीसरा देश और वाराणसी पहला शहर होगा, जहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए रोप-वे का इस्तमाल किया जाएगा। यह पायलट प्रोजेक्ट है। इसका निर्माण स्विट्जरलैंड आधारित कंपनी बर्थोलेट, विश्व समुद्र और नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड (एनएचएलएमएल) करेगी। रोपवे दो साल के अंदर बन कर तैयार हो जाएगा। इस रोपवे के बनने के बाद काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए जाने वाले लाखों श्रद्धालुओं को सुविधा होगी, उनके पास ऑटो, टेम्पो और रिक्शा के अलावा एक और विकल्प मौजूद रहेगा। श्रद्धालु स्टेशन से उतरकर सीधा मंदिर के करीब तक जा सकेंगे। एक घंटे में दोनों छोर से 6000 यात्री कर यात्रा सकेंगे। रोपवे का संचालन 16 घंटे होगा।