उत्तराखंड में लव जिहाद के खिलाफ महापंचायत पर पेंच:आज होनी थी बैठक, प्रशासन ने मंजूरी नहीं दी

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(www.arya-tv.com)  उत्तराखंड के पुरोला कस्बे में होने वाली महापंचायत के खिलाफ आज देहरादून हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। लव जिहाद की कथित घटनाओं के खिलाफ आज उत्तरकाशी के पुरोला कस्बे में महापंचायत होनी थी, इसे रोकने के लिए बुधवार को हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी। जिला प्रशासन ने भी महापंचायत के लिए परमिशन नहीं दी थी। बुधवार को जिला प्रशासन ने पुरोला में धारा 144 लागू कर दी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिंदू संगठनों द्वारा बुलाई गई इस महापंचायत को स्थगित कर दिया गया है। वहीं, स्थानीय लोगों ने परमिशन न मिलने के विरोध में आज पुरोली में बंद बुलाया है।

सुप्रीम कोर्ट के इनकार के बाद हाईकोर्ट पहुंचे थे याचिकाकर्ता
महापंचायत के खिलाफ बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई। सुप्रीम कोर्ट की वेकेशन बेंच ने इस याचिका को सुनने से इनकार कर दिया, जिसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली। हालांकि, कोर्ट ने याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने की इजाजत दी थी। जिसके बाद याचिकाकर्ता महापंचायत के खिलाफ उत्तराखंड हाईकोर्ट पहुंचे थे।

जानें क्या है पूरा मामला…

  • पुरोला में पिछले महीने की 26 तारीख को दो लोगों ने एक 14 साल की एक लड़की के अपहरण करने की कोशिश की थी। इनमें से एक आरोपी अल्पसंख्यक समुदाय का था। तब से पुरोला और आसपास के इलाकों में दोनों समुदायों के बीच सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया।
  • घटना के बाद व्यापारी संगठनों और हिंदू संगठनों ने पुरोला और पास के कस्बों में लव जिहाद के खिलाफ अभियान चलाया था। यह महापंचायत भी लव जिहाद की कथित घटनाओं के विरोध में बुलाई थी। इसका ऐलान प्रधान संगठन ने किया था और इसे विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और देवभूमि रक्षा अभियान ने समर्थन दिया था।
  • 52 पूर्व ब्यूरोक्रेट्स ने राज्य के चीफ सेक्रेटरी एसएस संधू को लेटर लिखकर महापंचायत पर बैन लगाने के लिए कहा था। उनका कहना था कि महापंचायत से राज्य की शांति प्रभावित होगी।
  • इलाके में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ लगाए गए पोस्टर
    न्यूज एजेंसी के मुताबिक घटना के बाद इलाके में मुस्लिम लोगों की दुकानों पर पोस्टर लगाए गए थे कि लव जिहाद करने वाले लोग कस्बा छोड़कर चले जाएं, वरना उन्हें अंजाम भुगतना पड़ेगा। इसके बाद से पुरोला में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की 40 से ज्यादा दुकानें नहीं खुल रही हैं। वहीं, कई लोग कस्बा छोड़कर भी चले गए हैं।