हाईकोर्ट ने जांचा UP में इलाज का हाल:सरकारी पोर्टल पर बेड खाली, फोन करने पर सारे भरे मिले

Health /Sanitation UP

(www.arya-tv.com)उत्तर प्रदेश में कोरोना से हालात बिगड़ चुके हैं और योगी सरकार के अफसर लोगों को गुमराह करने में जुटे हैं। इसका पर्दाफाश खुद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किया। राज्य के लेवल-2 और लेवल-3 अस्पतालों में बेड की उपलब्धता की जानकारी देने के लिए बनाए गए सरकारी पोर्टल के मुताबिक राज्य में न आइसोलेशन बेड की कमी है न ICU की। लेकिन जब हाईकोर्ट ने इसकी सच्चाई परखनी चाही, तो गोलमाल सामने आ गया।

पोर्टल के मुताबिक, लखनऊ के हरिप्रसाद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में मंगलवार की सुबह 192 बेड खाली थे। हाईकोर्ट ने सच्चाई जानने के लिए अपने सामने इन अस्पतालों में फोन लगाया। पोर्टल में एक अस्पताल में खाली बेड दिखाया जा रहा था। हाईकोर्ट के जजों के सामने स्पीकर अस्पताल को फोन मिलाया गया। उधर से जवाब आया कि अस्पताल में एक भी बेड खाली नहीं है।

जज के इलाज में लापरवाही पर रिपोर्ट तलब
हाईकोर्ट के जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और अजीत कुमार की डबल बेंच ने जस्टिस वीरेंद्र श्रीवास्तव (वीके) की मौत के मामले में रिपोर्ट तलब की है। जस्टिस श्रीवास्तव कोरोना संक्रमित थे। संक्रमण बढ़ने पर उन्हें 23 अप्रैल को लखनऊ के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, लेकिन वहां न तो अटेंडेंट मिला, ना ही समय पर इलाज मिला था। नतीजतन उनकी हालत बिगड़ गई।

ओहदे का पता चलते ही VVIP ट्रीटमेंट
हालत बिगड़ जाने के बाद मेडिकल स्टॉफ को जानकारी हुई कि मरीज हाईकोर्ट के जज हैं, तो आनन-फानन में उन्हें PGI के VVIP वार्ड में भर्ती कराया गया। लेकिन इलाज के दौरान उनको बचाया नहीं जा सका। 28 अप्रैल को उनकी मौत हो गई थी। हाईकोर्ट ने रिपोर्ट मांगी है कि जज वीके श्रीवास्तव को 23 अप्रैल को ही PGI में क्यों नहीं भर्ती कराया गया था?

हाईकोर्ट ने जस्टिस श्रीवास्तव के इलाज की जानकारी मांगी
हाईकोर्ट ने जस्टिस वीके श्रीवास्तव के इलाज का पूरा अपडेट लिया। इसमें पता चला कि उन्हें 23 अप्रैल की सुबह लखनऊ के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन शाम तक उनकी देखभाल नहीं की गई। शाम 7:30 बजे हालत बिगड़ने पर उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया और उसी रात उन्हें SCPGI में ले जाया गया जहां वह पांच दिन ICU में रहे और 28 अप्रैल को उनकी कोरोना संक्रमण से मौत हो गई।

अदालत ने उत्तर प्रदेश के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल से कहा है कि वे हलफनामा दाखिल कर बताएं कि राम मनोहर लोहिया अस्पताल में न्यायमूर्ति श्रीवास्तव का क्या इलाज हुआ और उन्हें 23 अप्रैल को ही SCPGI क्यों नहीं ले जाया गया?