(www.arya-tv.com) गंगा के किनारे अस्सी घाट पर गुरुवार को सुबह-ए-बनारस पद्मश्री मालिनी अवस्थी के सुरों से हुई। मौका था सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था सुबह-ए-बनारस की स्थापना के नौवें वार्षिकोत्सव का…। इस दौरान वैदिक ऋचाओं की अनुगूंज के साथ दैविक शक्तियों का आह्वान किया गया। गंगा आरती और वैदिक यज्ञ के बाद प्रात:कालीन राग पर आधारित मालिनी अवस्थी के गीतों ने घाट पर मौजूद लोगों का मन मोह लिया।
यहां गाना मेरे लिए सौभाग्य की बात है
मालिनी अवस्थी ने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है। महादेव की नगरी और ऊपर से गंगा जी के किनारे अस्सी घाट पर यहां अनवरत संगीत की सेवा हो रही है। यहां गंगा जी के आरती के बाद विश्व कल्याण के लिए यज्ञ किया जाता है। आज मेरा बहुत बड़ा सौभाग्य है। मुझे यहां नौवीं वर्षगांठ पर बुलाया गया है।
उन्होंने कहा कि अपने घर में बुलाया नहीं जाता। आज मेरा अवसर आया कि इतने अच्छे और इतने विद्वान मेरे सामने बैठ कर हमें सुन रहे थे। यह एक कलाकार के लिए सौभाग्य की बात होती है।
आज मैं यहां बैठे-बैठे अपने गुरु का स्मरण कर रही थी। श्रद्धेय अप्पाजी पूरे विश्व में कहीं भी जाएं तो कहती थीं कि काशी की भोर प्रसिद्ध है। काशी कोई व्यक्ति आए और उसे यहां की भोर देखनी हो तो वह सुबह-ए-बनारस मंच पर आए। यहां गाकर आज बहुत आत्मिक शांति मिली है।