कानून का उद्देश्य अपराधी को सजा देना होता सामाजिक शांति भी जरुरी है : हाईकोर्ट

Prayagraj Zone UP

प्रयागराज(www.arya-tv.com) इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि कानून का उद्देश्य केवल अपराधी को सजा देना ही नहीं है बल्कि सामाजिक शांति, सौहार्द, अपनापन व संपन्नता भी बनाए रखना है। पति-पत्नी के बीच एक छत के नीचे बच्चे के साथ सुखी जीवन बिताने के लिए समझौता हो गया है और वे पिछली कड़वाहट भूल एक साथ रहने लगे हैं तो यह समाज के लिए एक आदर्श स्थिति है।

कोर्ट ने कहा कि यदि ऐसी स्थिति में कोर्ट ने अपनी अंतर्निहित शक्ति का प्रयोग कर वैवाहिक विवाद को खत्म नहीं किया तो न केवल पति-पत्नी का पारिवारिक जीवन बर्बाद होगा अपितु नाबालिग बच्चे का भविष्य शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाएगा।

कोर्ट ने याची के सुखमय वैवाहिक जीवन को देखते हुए दहेज उत्पीड़न केस में उसे अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गाजियाबाद द्वारा दी गई सजा व आपराधिक मामले को रद्द कर दिया है और कहा है कि सजा रद्द होने से अपील अर्थहीन हो चुकी है, जिसे कोर्ट खत्म कर देगी। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान ने प्रमोद व अन्य की याचिका को  स्वीकार करते हुए दिया है।

प्रयागराज इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि कानून का उद्देश्य केवल अपराधी को सजा देना ही नहीं है बल्कि सामाजिक शांति, सौहार्द, अपनापन व संपन्नता भी बनाए रखना है। पति-पत्नी के बीच एक छत के नीचे बच्चे के साथ सुखी जीवन बिताने के लिए समझौता हो गया है और वे पिछली कड़वाहट भूल एक साथ रहने लगे हैं तो यह समाज के लिए एक आदर्श स्थिति है।

कोर्ट ने कहा कि यदि ऐसी स्थिति में कोर्ट ने अपनी अंतर्निहित शक्ति का प्रयोग कर वैवाहिक विवाद को खत्म नहीं किया तो न केवल पति-पत्नी का पारिवारिक जीवन बर्बाद होगा अपितु नाबालिग बच्चे का भविष्य शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाएगा।

कोर्ट ने याची के सुखमय वैवाहिक जीवन को देखते हुए दहेज उत्पीड़न केस में उसे अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गाजियाबाद द्वारा दी गई सजा व आपराधिक मामले को रद्द कर दिया है और कहा है कि सजा रद्द होने से अपील अर्थहीन हो चुकी है, जिसे कोर्ट खत्म कर देगी। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान ने प्रमोद व अन्य की याचिका को  स्वीकार करते हुए दिया है।