दोस्त की चप्पल देख मुलायम ने बना दिया था मंत्री:दोस्तों की आंखें नम

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(www.arya-tv.com) मुलायम सिंह यादव का 82 साल की उम्र में सोमवार को निधन हो गया। उनके निधन से सपा के गढ़ कहे जाने वाले सैफई, इटावा, मैनपुरी और फिरोजाबाद के लोग शोक में डूबे हैं। इटावा जहां मुलायम का गृह जनपद रहा, तो फिरोजाबाद उनकी कर्मभूमि। यहां मुलायम के साथ पढ़े और राजनीति में उतरे कई ऐसे चेहरे हैं जिनके साथ नेताजी हमेशा कंधे से कंधा मिलाए रहे।

दोस्तों से इतना लगाव था कि एक बार उनका दोस्त हवाई चप्पल में पहुंचा, तो उसे राज्य मंत्री बना दिया था। वहीं, उनके साथ पढ़ने वाले बताते हैं कि मुलायम ने पढ़ाई के दौरान कभी अपने नोट्स नहीं बनाए। दोस्त जो नोट्स बनाते थे, उनको वह दोस्तों से सुनकर परीक्षा दे आते थे।

नेताजी ने इटावा के केके कॉलेज से ग्रेजुशन किया था। उन्होंने राजनीति शास्त्र में BA और MA किया था। साल 1967 में वह UP विधानसभा के सदस्य चुने गए थे।

हवाई चप्पल में घर पहुंचा, तो भावुक हो गए मुलायम

मुलायम सिंह के साथ पढ़े विश्राम सिंह यादव बताते हैं, “हमने और नेताजी ने साथ में पढ़ाई की। हम जब ग्रेजुएशन कर रहे थे, तभी नेताजी सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहने लगे थे। इसके बाद हमने करहल में साथ में नौकरी भी की। इसके बाद नेताजी सक्रिय राजनीति में उतर गए और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। नेताजी आगे बढ़ते चले गए, लेकिन उन्होंने कभी अपने पुराने साथियों को नहीं भुलाया।

एक बार कड़ाके की सर्दियों में मैं मुलायम सिंह यादव से मिलने लखनऊ पहुंच गया। ठंड में मैं हवाई चप्पल पहन पहुंचा, तो वह भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि विश्राम इतनी ठंड में तुम हवाई चप्पल पहन कर पहुंचे हो। मैंने कहा कि तुमसे मिलना था, इसलिए आ गया। वह भी हंसी में टाल गए।

इसके बाद उन्होंने मुझे अपनी सरकार में दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री बनाया। हम लोग हमेशा दोस्तों की ही तरह रहे। हंसी-ठिठोली भी कर लिया करते थे। इसी होली पर मैं इटावा में उनकी कोठी पर उनसे मिलने पहुंचा था। उन्होंने मेरा हालचाल लिया। बोले कि तुम बहुत कमजोर हो गए हो। मैंने कहा कि उम्र दोनों की ढल रही है। आप भी कमजोर होते जा रहे हैं। उसके बाद से उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता चला गया।”

ददाश्त इतनी तेज थी कि सिर्फ नोट्स सुनकर देते थे परीक्षा

विश्राम सिंह बताते हैं, “मुलायम सिंह यादव ने इटावा से ग्रेजुएशन किया है। वह पढ़ने-लिखने में बहुत अच्छे थे। सामाजिक कार्यों में लगे रहने के कारण वह कभी अपने नोट्स नहीं बना पाते थे। मगर, उनकी याददाश्त बहुत तेज थी। मैं पढ़ाई के दौरान सारे नोट्स तैयार करता था।

परीक्षा के दौरान नेताजी कहते कि तुम जोर से बोल-बोल कर पढ़ो, मैं सुन रहा हूं। जब हम बोल-बोल कर प्रश्न-उत्तर याद करते थे, वे सुनकर ही तैयार कर लेते थे। इसी तैयारी के आधार पर वह पेपर दे आते थे। उनका रिजल्ट भी हमारे बराबर आता था। इसी तरह वह एक बार जिस व्यक्ति से ढंग से मिल लेते थे, उसको भी नहीं भूलते थे। वह ज्यादातर लोगों काे उनके नाम से बुलाते थे।”

मुलायम के लिए बाल्टी में भरकर रखे जाते थे आम

विश्राम सिंह यादव बताते हैं, “मुलायम सिंह यादव शुरू से ही खाने के शौकीन थे। उन्हें आम बहुत पसंद थे। हम लोग जब भी इटावा, फिरोजाबाद या आसपास कहीं खाने के लिए रुकते तो नेताजी के लिए बाल्टी में भरकर आम रखे जाते थे। वह हमेशा सादे खाने को ही प्राथमिकता देते थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उनके लिए विशेष तौर पर दाल, चावल, सब्जी, रोटी ही बनाई जाती थी। खाने के दौरान हमेशा अपने दोस्तों के साथ पुरानी यादों पर ही चर्चा करते थे।”