छत्रपति शिवाजी का राज्याभिषेक कराने वाले गागाभट्ट के वंशज कराएंगे रामलला की प्राण प्रतिष्ठा

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(www.arya-tv.com) अयोध्या में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर विधि विधान से तैयारी की जा रही है. 121 कर्मकांडी और वेद-पुराणों के ज्ञाता ब्राह्मण द्वारा 22 जनवरी को अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का पूजन संपन्न कराया जाएगा. इसी कड़ी में काशी से भी 40 विद्वान और कर्मकांडी ब्राह्मणों का समूह 15 जनवरी को ही अयोध्या पहुंच जाएगा, जिसकी सभी अनुष्ठानों के साथ मंदिर प्राण प्रतिष्ठा आयोजन में मुख्य भूमिका होगी. 121 कर्मकांडी ब्राह्मण का नेतृत्व काशी के पंडित लक्ष्मीकांत मथुरानाथ दीक्षित करेंगे. खास बात ये हैं कि इनके पूर्वजों ने ही छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ-साथ मुंगेर, नासिक, महाराष्ट्र,जयपुर के राजघराने का भी राज्याभिषेक कराया है.
पंडित लक्ष्मीकांत मथुरानाथ दीक्षित के छोटे बेटे जय कृष्ण दीक्षित भी अयोध्या के राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पूजन में शामिल होंगे. जय कृष्ण दीक्षित ने एबीपी लाइव से बातचीत में बताया कि 15 जनवरी की शाम को काशी के विद्वानों का दल अयोध्या पहुंच जाएगा. 16 तारीख को यज्ञ के पूर्व प्रायश्चित कर्मों की तिथि निर्धारित है. इसके बाद 17 जनवरी को भगवान रामलला की देव मूर्ति की शोभायात्रा और कलश यात्रा को संपन्न किया जाएगा. 18 जनवरी के मध्यान्ह से प्राण प्रतिष्ठा का मुख्य कार्यक्रम प्रारंभ होगा और 22 जनवरी शाम तक ये संपन्न हो जाएगी.
जय कृष्ण दीक्षित ने ने कहा, छत्रपति शिवाजी महाराज का काशी के महापंडित गागाभट्ट ने 350 साल पहले राज्याभिषेक किया था और हमने अपने पूर्वजों के माध्यम से ही सुना है कि गागा भट्ट की परंपरा से हम लोग आते हैं और भारत भूमि के छत्रपति शिवाजी के साथ-साथ नागपुर, मुंगेर, बिहार सहित अन्य राजघरानो का राज्याभिषेक हमारी 12वीं 13वीं पीढ़ी के पूर्वजों ने विधि विधान से संपन्न कराया हैं. वहीं पंडित लक्ष्मीकांत मथुरानाथ दीक्षित ने एबीपी को बताया कि काशी ज्ञान की नगरी है और यहां पर देश-विदेश से विद्वान अध्ययन के लिए आते हैं. इसी परंपरा की रक्षा हम कर रहे हैं. हमारे लिए अत्यंत हर्ष का विषय है कि हम प्रभु श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल हो रहे हैं. हम अपने समाज और विश्व की उन्नति की मंगलकामना करते हैं.
ऐसे होगा रामलला की मूर्ति का पूजन
जय कृष्ण दीक्षित ने बताया कि कलश यात्रा के साथ-साथ अन्य ऐसी परंपराएं हैं जो मूर्ति पूजन से जुड़ी हैं. सबसे पहले रामलला की मूर्ति को जल में विहार कराया जाएगा. इसके बाद धन, शैया और पुष्प में रखा जाएगा. पुष्प के साथ-साथ रत्न और भगवान को जो वस्तुएं पसंद है उनमें उन्हें रखा जाएगा. जिस प्रकार किसी वस्तु से हम अपने शरीर को प्रसन्न रखना चाहते हैं उसी प्रकार देवी देवताओं को भी प्रसन्न रखने के लिए उनके समक्ष वह वस्तुएं रखी जाती हैं. ठीक उसी प्रकार रामलला के समक्ष भी यह वस्तुएं रखी जाएगी. अगले दिन 21 तारीख को शैया निवास कराया जाएगा. जिसके बाद 22 तारीख को उन्हें परंपरागत तरीके से जगाने का कार्य किया जाएगा और निर्धारित मुहूर्त में वेद और मंत्रो के उच्चारण के बीच प्रभु श्री रामलला का मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी.