देश का दूसरा एक्सप्रेस-वे जिस पर होंगे 25 हेलिपेड, सेना भी कर सकेगी इस्तेमाल

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(www.arya-tv.com) देश के सबसे लंबे इकॉनोमिक कॉरिडोर में से एक अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेस-वे। भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत पश्चिमी सीमा के पास निमार्णाधीन 1224 किमी लंबे इस कॉरिडोर का सबसे बड़ा पार्ट 636 किमी राजस्थान से गुजर रहा। इसके अलावा पंजाब, हरियाणा, गुजरात को रोड से कनेक्ट करेगा तो जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख के गुड्स का निर्यात सीधे होगा। ये देश का दूसरा सिक्स लेन एक्सप्रेस-वे है, जिस पर इंटरचेंज या वे साइट के पास हेलिपेड बनाए जाने हैं। इसके लिए एनएचएआई ने 20 से 25 साइट चिह्नित की हैं।

अकेले राजस्थान में 14 से ज्यादा साइट

अकेले राजस्थान में 14 से ज्यादा साइट हैं, इसके लिए जमीन छोड़ी गई हैं। अब ये प्रस्ताव एनएचएआई मुख्यालय से पास होते ही हेलिपेड का निर्माण होगा। एनएचएआई राजस्थान के सीजीएम पवन कुमार ने बताया कि अमृतसर जामनगर इकॉनोमिक कॉरिडोर 2025 तक ऑपरेशनल हो जाएगा।

एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम लगेगा हादसे रोकने के लिए एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम लगाया जा रहा है। 1224 किमी में 6 से 7 हजार सीसीटीवी कैमरे लग रहे हैं। वाहनों की निर्धारित स्पीड 100 किमी प्रति घंटा से ज्यादा होते ही ये गेंट्री पर आगाह करेगा।
क्रिटिकल लोकेशन पर एलईडी डिस्प्ले

  • वेरियएबल मैसेज साइन (वीएमएस) प्रत्येक 10 किमी की दूरी पर एक गेंट्री : क्रिटिकल लोकेशन पर एलईडी डिस्प्ले, जो पहले से इमरजेंसी-हादसे के बारे में आगाह करेगा
  • व्हीकल इंसीडेंट डिटेक्शन सिस्टम हर 10 किमी पर : क्रिटिकल लोकेशन, इंटरचेंज, फ्लाईओवर पर कैमरे
  • व्हीकल स्पीड डिटेक्शन सिस्टम हर 10 किमी पर: स्पीड गेंट्री पर 3 एलईडी में दिखेगी, 100 से ज्यादा स्पीड होने पर ड्राइवर को चेतावनी देगा
  • इमरजेंसी कॉल बॉक्स सिस्टम प्रत्येक 1 किमी की दूरी पर : कॉल करते ही एम्बुलेंस, हाइवे पेट्रोल व सहायता वाह उस लोकेशन में चंद मिनट में पहुंचेंगे
  • ट्रैफिक मॉनिटरिंग कैमरा सिस्टम प्रत्येक 1 किमी की दूरी पर : 10 मीटर के पोल पर, ये वाहन की मूवमेंट पर नजर रखेंगे।
  • कंट्रोल रूम और डाटा सेंटर प्रत्येक 100 किमी पर एक : वीडियो वॉल बनेगी। 24 घंटे लाइव मॉनिरटरिंग होगी। रियल टाइम मदद दे सकेंगे। देने के साथ, तेज स्पीड से दौड़ने वाले वाहनों को पुलिस की मदद से ई चालान जनरेट होंगे।

भारतमाला प्रोजेक्ट के टू लेन से जोड़ेगा,

  • ये एक्सप्रेस-वे पश्चिमी बॉर्डर के बड़े मिलिट्री स्टेशनों को कनेक्ट करेगा। ऑपरेशन पराक्रम जैसी स्थिति में बॉर्डर तक जाने में सेना का रिस्पांस टाइम 48 घंटे से कम हो जाएगा।
  • सामरिक तौर पर ये बॉर्डर के पास बने भारतमाला प्रोजेक्ट के टू लेन से जोड़ेगा, जिससे मूवमेंट तेज होगा।

 जितना चलोगे, उतना ही टोल
ये इंटरचेंज है, जो हर 50 किमी पर बना है। आप जैसे ही कॉरिडोर से उतरेंगे, वहां टोलबूथ मिलेगा।