भारतीय समुद्र की हवाई पहरेदारी के लिए राफेल मरीन और एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट में मुकाबला

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(www.arya-tv.com) भारतीय समुद्री हवाई सीमा की चौकसी के लिए कुछ साल में नए पहरेदार मिल सकते हैं। भारतीय नौसेना में शामिल होने के लिए फ्रांस के दसॉल्ट एविएशन के राफेल M यानी मरीन वर्जन और अमेरिकी कंपनी बोइंग के एफ/ए 18 सुपर हॉर्नेट के बीच मुकाबला होने वाला हैं। इसकी शुरुआत 10 जनवरी को गोवा में नेवी के INS हंसा पर बने शॉर्ट बेस्ड टेस्ट फेसिलिटी (SBTF) से राफेल M के स्काई जम्प के साथ हुई। इसके बाद आगामी मार्च में सुपर हॉर्नेट का स्काई जम्प करेगा।

 नौसेना को ज्यादा विमानों की जरूरत

इस मामले में पूरी तरह से गोपनीयता बरती जा रही है। इसे सिर्फ विमान की क्षमता का प्रदर्शन भर बताया जा रहा हैं, लेकिन नेवी जल्दी ही लड़ाकू विमान अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करने वाली है। दूसरी ओर रूस निर्मित मिग 29 के लड़ाकू विमान जल्दी ही नौसेना के बेड़े से फेज आउट हो सकते हैं। इसकी संख्या भी कम ही है और नौसेना को अपना हवाई बेड़ा मजबूत करने के लिए ज्यादा विमानों की जरूरत होगी। इसके चलते ही दोनों विदेशी कंपनियां इस डील पर नजरें जमाए बैठी हैं। इन कंपनियों को कम से कम दो स्क्वॉड्रन यानी 36 विमान खरीद की उम्मीद है।

अभी 45 मिग 29 के फाइटर जेट्स मौजूद
भारतीय नौसेना के पास अभी 45 मिग 29 के फाइटर जेट्स मौजूद हैं। यानी इसकी तीन स्क्वाड्रन से भारतीय समुद्री सीमा हवाई चौकसी हो रही है। ये INS विक्रमादित्य और INS हंसा पर तैनात हैं। करीब एक दशक पहले इसे रूस से खरीदा गया था। इसके इंजन में समस्या होने के साथ ही कुछ और तकनीकी परेशानियां हैं। इसके चलते इसे फेज आउट करने की तैयारी की गई है।

इसका तीसरा समुद्री ट्रायल कामयाब रहा है

नौसेना के बेड़े में इस साल अगस्त तक भारत में बने एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत के कमीशंड होने की तैयारी है। दो दिन पहले ही इसका तीसरा समुद्री ट्रायल कामयाब रहा है। ऐसे में भारतीय नौसेना को कम से कम 36 लड़ाकू विमानों की पहले जरूरत होगी। इससे दोनों एयरक्राफ्ट कैरियर पर एक-एक स्क्वाड्रन बन सकती है। नौसेना ने साल 2017 में 57 फाइटर जेट्स की जरूरत बताई थी। इसे लेकर अब हलचल तेज हो चुकी हैं।

 कैरियर शॉर्ट टेक ऑफ, अरेस्ट रिकवरी प्रणाली का उपयोग
एयरक्राफ्ट कैरियर पर तीन तरह से लैंडिंग व टेक ऑफ होती है। इनमें शॉर्ट टेक ऑफ व वर्टिकल लैंडिंग, शॉर्ट टेक ऑफ लेकिन अरेस्ट रिकवरी और केटापुल्ट टेक ऑफ लेकिन अरेस्ट रिकवरी।

भारतीय एयरक्राफ्ट्स में कैरियर शॉर्ट टेक ऑफ, अरेस्ट रिकवरी प्रणाली का उपयोग हो रहा है। इसे ध्यान में रखकर ही सबसे पहले राफेल मरीन का गोवा में ट्रायल किया गया है। हालांकि नेवी के तत्कालीन चीफ एडमिरल करमबीर सिंह ने मल्टी रोल एयरक्राफ्ट की खरीद एयरफोर्स के साथ करने पर जोर दिया था।

इससे कम लागत में दोनों फोर्स के लिए उपयोगी लड़ाकू विमान खरीदे जा सकते हैं। इसी को ध्यान में रखकर नौसेना मल्टीरोल कैरियर बेस्ट फाइटर खरीदने की तैयारी कर चुकी है। दूसरी ओर DRDO भी डबल इंजन का डेक बेस्ड फाइटर डेवलेप करने में जुटा है।