कोरोना महामारी से उबर रही देश की अर्थव्यवस्था, तेजी से बदल रहें हालात

# National

(www.arya-tv.com) दुनिया भर में कोरोना महामारी के बावजूद राजकोषीय घाटे में सुधार धीरे धीरे आ रहा है। वित्त वर्ष में सरकार का लक्ष्य राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.8 प्रतिशत रखने का है, जिसे सरकार हासिल भी कर सकती है।

पिछले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 9.5 प्रतिशत रहा था। राजकोषीय घाटे में सुधार आने का कारण चालू वित्त वर्ष में ज्यादा राजस्व का संग्रहित होना है।

सरकार चालू वित्त वर्ष में बजट अनुमान का 37 प्रतिशत राजस्व संग्रहित कर चुकी है, वहीं विगत साल सरकार बजट अनुमान का केवल 11 प्रतिशत राजस्व ही संग्रहित कर पाई थी। इतना ही नहीं, वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान भी सरकार ने बजट अनुमान का सिर्फ 20 प्रतिशत राजस्व ही संग्रहित किया था।

पिछले साल की तुलना में सकल कर संग्रह 47 प्रतिशत से बढ़कर 6.45 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जिसमें 3.58 लाख करोड़ रुपये निगम कर है, वहीं एसटीटी और व्यक्तिगत आयकर 2.86 लाख करोड़ रुपये है।

कर संग्रह में बढ़ोतरी के अनेक कारण हैं, जैसे उच्च एसटीटी संग्रह, आइटी और फार्मा कंपनियों के शेयरों में उछाल, एफआइआइ के साथ साथ घरेलू निवेशकों द्वारा खुलकर निवेश करना, बाजार में नकदी की तरलता का बना रहना, ऋण ब्याज दरों का कम होना आदि।

अग्रिम कर जमा करने की जो रफ्तार है, उससे पता चलता है कि राजस्व संग्रह में अभी मजबूती बनी रहेगी। राजस्व संग्रह ज्यादा होने से सरकार पूंजीगत व्यय को बढ़ा सकती है, ताकि अर्थव्यवस्था में और भी मजबूती आए।