नवयुग कन्या महाविद्यालय की पर्यावरण संरक्षण एवं पुनर्स्थापन समिति और स्टूडेंट्स फॉर डेवलपमेंट (एसएफडी)महानगर लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में नवयुग कन्या महाविद्यालय में जल संरक्षण विषय पर आधारित“रोल ऑफ वाटर कंजर्वेशन एंड इन्नोवेशन इन सस्टेनेबल डेवलपमेंट एंड क्लाइमेट एक्शन” विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का औपचारिक शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती मां की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके किया गया। सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में बीरबल साहनी संस्थान लखनऊ के निदेशक प्रोफेसर महेश ठक्कर उपस्थित रहें।
उन्होंने अपने उद्बोधन में इस बात पर बल दिया कि प्राचीन वैदिक सभ्यताओं के फलने फूलने में जल का सर्वाधिक महत्त्व था क्योंकि सभी महत्वपूर्ण सभ्यताएं नदियों के किनारे ही विकसित हुई थी। तत्कालीन समाज में भी जल संरक्षण प्रयास हेतु वृहद जलाशयों का निर्माण किया गया था।साथ ही वेदों में वर्णित पंचतत्वों के महत्व को बताया की पंचतत्व ही ईश्वर का रूप हैं, इस प्रकार जल हमारे लिए पूजनीय है,तथा उसका संरक्षण एवं संवर्धन अति आवश्यक है। समकालीन पाश्चात्य समाज में विद्यमान राजनीतिक तनावों में जल के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया की अगले विश्व युद्ध का कारण जल हो सकता है। आधुनिक वैज्ञानिक नवाचारों एवं तकनीकि का प्रयोग कर जल संरक्षण किया जाना चाहिए। मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ पर्यावरणविद् प्रोफेसर जसवंत सिंह उपस्थित रहें जिन्होंने अपने वक्तव्य में बताया कि मात्र पृथ्वी ही एक अद्भुत ऐसा ग्रह है, जहां जल है क्योंकि जल ही जीवन है। जल न होता तो जीवन नहीं होता। इसलिए जल का उचित प्रबंधन ही जल संरक्षण का सर्वोत्तम उपाय है।
जलसंरक्षण हेतु वर्तमान में जो प्रयास किए जा रहे हैं वह पहले से समाज में प्रचलित था यदि ऐतिहासिक काल में देखें तो उस समय भी वास्तुकार इमारतों के निर्माण में सतत विकास का ध्यान रखते थे। साथ ही उन्होंने इजराइल जैसे देश का उदाहरण देकर जल के सदुपयोग के लिए छात्राओं को जागरूक किया।बी.एस.सी तृतीय सत्र की सृष्टि एवं उनके समूह द्वारा “स्वच्छता अभियान”पर अतिथियों के समक्ष एक संदेशपरक नुक्कड़ नाटक भी प्रस्तुत किया गया जिसकी सभी ने भूरि-भूरि प्रशंसा की गयी । .एस एफ डी प्रमुख डॉ इंद्रेश कुमार शुक्ल ने नदियों के संरक्षण के लिए किए गए कई महत्वपूर्ण प्रयासों जैसे असी नदी, बनारस के बारे में बताया। नदियों में दिन– प्रतिदिन बढ़ रहे प्रदूषण को रोकना आवश्यक है, साथ ही भूमिगत जल को बचाना भी जरूरी है।
समकालीन समाज में चल रही जलाशयों को पाटकर शहर बसाने की कुप्रथा की चर्चा किया। महाविद्यालय प्राचार्या प्रो.मंजुला उपाध्याय ने अपने उद्बोधन में कहा की जल संरक्षण और नवाचार के माध्यम से हम न केवल अपने वर्तमान जल संसाधनों को सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी एक स्थायी और सुरक्षित जल आपूर्ति सुनिश्चित कर सकते हैं।प्राचार्या ने सभी गणमान्य अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन किया एवं कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए पर्यावरण संरक्षण एवम पुनर्स्थापन समिति के सभी सदस्यों का साधुवाद दिया।
इस अवसर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के विभाग संगठन मंत्री अनुज श्रीवास्तव, अनुराग,तुषार अधीश आदिके साथ ही महाविद्यालय के सभी सम्मानित प्रवक्तागण एवं छात्राएं उपस्थित रहीं। इस सेमिनार के साथ ही महाविद्यालय की ‘हाइजिन सेनिटेशन सेल’ द्वारा “स्वच्छ सारथी क्लब”मुहिम के तहत पोस्टर, नुक्कड़ नाटक, पेंटिंग, वीडियो मेकिंग प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया जिसका विषय “क्लीन यूपी ग्रीन यूपी”था ।जहां विभिन्न संकायों की छात्राओं ने अपनी रचनात्मकता, कला का प्रदर्शन किया।