माफिया गोरख को मारकर पुलिसवालों के बीच रहे शूटर:​​​​​​​कमिश्नर आवास और ACP ऑफिस के करीब चुना था होटल

# ## Lucknow

(www.arya-tv.com)  बिहार के माफिया वीरेंद्र उर्फ गोरख ठाकुर हत्याकांड में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं। 25 जून को वारदात करने के बाद शूटरने  1090 चौराहे के पास जियामऊ के एक होटल में रात गुजारी थी। ये जगह पुलिस वालों के ऑफिस से घिरी हुई है। जब पुलिस लखनऊ के चप्पे-चप्पे पर शूटर को ढूंढ रही थी, तब शूटर उन्हीं के बीच थे।

फिरदौस साथियों के साथ जियामऊ के होटल में रहा
लखनऊ पुलिस शनिवार को सिवान से 3 युवकों को पकड़कर लाई। उन्हें शूटर बताया गया। पूछताछ में उन्होंने बताया कि 25 जून की दोपहर हत्या के बाद मुख्य आरोपी फिरदौस अपने साथियों को लेकर जियामऊ के एक होटल में पहुंचा। यहां कमरा एडवांस बुक था। वो पूरी रात साथियों को लेकर इसी होटल में रहा। दूसरे दिन लोहिया पथ से होते हुए अयोध्या हाईवे पहुंचा। यहां से बिहार चला गया।

होटल के चारो तरफ थाने और पुलिस अफसरों के दफ्तर हैं
शूटर जिस होटल में रुके थे, वहां से पुलिस कमिश्नर आवास की दूरी करीब 3 किमी है। होटल के दूसरी तरफ गोमती नदी पार महज 500 मीटर की दूरी पर ADCP पूर्वी का कार्यालय है। वो इस घटना के जांच अधिकारी हैं। इतनी ही दूरी पर ACP गोमतीनगर का ऑफिस है। होटल से महज सौ मीटर दूर महिला सुरक्षा का विंग 1090 है। यहां से डेढ़ किमी दूर गौतमपल्ली थाना और ढाई किलोमीटर दूरी पर गोमतीनगर थाना है।

भागने वाले रास्ते पर हर कदम पर खड़ी रहती है पुलिस
शूटर जिस रास्ते से भागे उस पर हर कदम पर पुलिस खड़ी रहती है। जियामऊ से निकलते ही 1090 चौराहे पर चौकी है। यहां 24 घंटे पुलिस का पहरा रहता है। इससे करीब 500 मीटर आगे समतामूलक चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस की ड्यूटी रहती है। इससे करीब 1 किमी बढ़ने पर लोहिया पार्क चौराहा है। जहां ट्रैफिक और सिविल पुलिस की एक साथ ड्यूटी होती है। इससे आगे पॉलिटेक्निक चौराहे से बाराबंकी बॉर्डर तक पुलिस ड्यूटी के 8 पॉइंट हैं। इसके बावजूद शूटर निकल गए।

हत्या में भूमिका नहीं साबित कर पाई पुलिस
पुलिस ने शनिवार को सिवान के अठखम्बा गांव से मंजर इकबाल, कासिफ कसान व सरफराज अहमद को पकड़ा था। तीनों को लखनऊ लाकर पूछताछ की गई। उन्होंने हत्या में शामिल होने से नकार दिया। इन पर आरोप तय करने के लिए पुलिस के पास सिर्फ कॉल डिटेल थी। जिसमें हत्या से पहले और एक दिन बाद तक फिरदौस से बातचीत थी। घटना के समय इनकी लखनऊ में मौजूदगी का सबूत पुलिस के पास नहीं था।

मंजर ने फिरदौस के लिए फोन पर करवाई थी होटल की बुकिंग
पकड़े गए युवकों से पूछताछ में सामने आया कि फिरदौस जिस होटल में रुका था। उसे गोरखपुर का एक युवक चलाता है। वो मंजर का पुराना परिचित है। मंजर ने फिरदौस के कहने पर होटल में कमरा बुक कराया था। पुलिस ने होटल संचालक को फिरदौस की फोटो दिखाया तो उसने बताया कि 25 जून को वही इस होटल में ठहरा था।

इसके अलावा उसने इन तीनों युवकों के होटल में आने की बात से इनकार कर दिया। इसके बाद अब फिर से पुलिस नए सिरे से वो कड़ियां जोड़ रही है जो फिरदौस और उसके साथी शूटरों तक पहुंचा सके।