सुप्रीम कोर्ट ने चर्चित IAS अधिकारी अशोक खेमका को अदालत की प्रक्रियाओं का पाठ

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(www.arya-tv.com) हरियाणा सरकार में प्रमुख सचिव चर्चित आईएएस वरिष्ठ अधिकारी डॉ अशोक खेमका को सुप्रीम कोर्ट में अदालत की प्रक्रियाओं का पाठ पढ़ाया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है खेमका ने रजिस्ट्री के रुल मानने की बजाय अपने अहम को उपर रख और अपनी सहूलियत के हिसाब से उनमें सुधार की मांग की। कोर्ट ने कहा रुल न तो एक वर्ग के लिए बनते हैं, ना ही एक वर्ग के लिए इनमे रियायत दी जाती है और न ही वर्ग के लिए इनमे संशोधन होता है। नियमों की यही खूबसूरती है कि वे जनता के लिए काम करते हैं और सर्वसाधारण की सेवा करते है।

खेमका सुप्रीम कोर्ट में खुद पेश होकर अपने मामले में बहस की अनुमति मांगी थी और पत्र लिखकर कहा था कि जो आईएएस देश का प्रशासन चलाते हैं और कोर्ट ये फैसले लागू करवाते हैं, क्या वे सुप्रीम कोर्ट में बहस नहीं कर कोर्ट की सहायता नहीं कर सकते। साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट रुल्स, 2013 (आदेश 4 नियम 1) की वैधता को भी चुनौती दी।

दरअसल कोर्ट में खुद पेश होकर बहस करने के लिए एक प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इसके लिए दी गई अर्जी तभी स्वीकार होती है जब ये अर्जी प्रतिवादी, जो खेमका के केस में हरियाणा सरकार है, को सर्व हो जाए। रजिस्ट्री ने खेमका की हस्तक्षेप अर्जी (आईए) ये कहकर अस्वीकार कर दी कि ये प्रतिवादी को सर्व नहीं की गई है। इसके बाद खेमका ने कोर्ट को उपरोक्त पत्र लिखा।

कोर्ट ने तीन पन्नों के जवाब में कहा कि खेमका स्वयं को बुद्धिमान और योग्य समझते हैं लेकिन वह आदेश 4 रुल 1 के पीछे का तर्क समझने में विफल रहे हैं। रजिस्ट्रार इस रुल के तहत ये राय देता है कि क्या व्यक्ति कोर्ट में केस के निस्तारण में बहस करके सहायता दे सकता है। ये रुल किसी की योग्यता और ज्ञान पर सवाल नहीं करते। यद्यपि ये जरूरी नहीं है कि डॉक्टर, इंजीनियर या प्रशासक एक वकील के बराबर कोर्ट की सहायता करने में सक्षम होंगे। ऐसे हजारों केस हैं जिसमें समाज के इस बुद्धिजीवी वर्ग ने अपने अधिकार सुनिश्चित करने के लिए वकीलों की सहायता ली है।

क्या है सुप्रीम कोर्ट रुल का आदेश 4 नियम 1?
जब भी कोई व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होकर बहस करना चाहता है तो उसे बताना पड़ता है कि वह वकील की सेवाएं क्यों नहीं ले रहा। ये अर्जी रजिस्ट्रार के पास जाती है और वह व्यक्ति से इंटरव्यू कर यह राय कोर्ट को भेजता है कि व्यक्ति कोर्ट की जरूरी सहायता करने में सक्षम है या फिर उसके लिए एमिकस क्यूरी नियुक्त करने की आवश्यकता है।