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अयोध्या मामला: 31 जुलाई तक मध्यस्थता का समय, 2 अगस्त को ओपन कोर्ट में सुनवाई

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लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या जमीन विवाद मामले में गुरुवार को अहम फैसला सुनाया है। मध्यस्थता कमेटी की रिपोर्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने मध्यस्थता कमेटी को 31 जुलाई तक का समय दिया है। इस समयाव​धि में कमेटी मध्यस्थता की कोशिश करेगी। इसके बाद 2 अगस्त को दोपहर 2 बजे ओपन कोर्ट में सुनवाई होगी। यानी 2 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट फैसला लेगा कि इस मामले का हल मध्यस्थता से निकाला जाएगा या रोजाना सुनवाई होगी।

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले के एक पक्षकार गोपाल सिंह विशारद की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता कमेटी से रिपोर्ट तलब की है। पक्षकार गोपाल सिंह विशारद ने अपनी याचिका में कहा था कि मध्यस्थता कमेटी के नाम पर विवाद सुलझने के आसार बेहद कम हैं, क्योंकि इसमें तो सिर्फ समय बर्बाद हो रहा है, इसलिए कोर्ट मध्यस्थता कमेटी खत्म कर स्वयं सुनवाई करके मामले का निस्तारण करें।

69 सालों से विवाद, 11 संयुक्त सत्र के बाद भी मध्यस्थता विफल?

गोपाल सिंह के वकील पीएस नरसिम्हा ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ के सामने कहा था कि यह विवाद पिछले 69 सालों से अटका पड़ा है और मामले को हल करने के लिए शुरू की गई मध्यस्थता का रुख सकारात्मक नजर नहीं आ रहा है। 11 संयुक्त सत्र आयोजित किए जा चुके हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। यह विवाद मध्यस्थता के जरिए सुलझाना मुश्किल है।

जस्टिस कलीफुल्ला की अध्यक्षता में बनी कमेटी
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस कलीफुल्ला की अध्यक्षता में मध्यस्थता कमेटी बनाकर इस मसले को बातचीत के जरिए आपसी सहमति से ही सुलझाने की पहल की थी। पहले शुरुआत में कमेटी को दो महीने यानी 8 हफ्ते दिए गए, फिर ये अवधि अगले 13 हफ्तों यानी 15 अगस्त तक के लिए बढ़ा दी गई थी। अब इसे 31 जुलाई कर दिया गया है।

सोर्स— आजतक