संघमित्रा मौर्य अपने पिता स्वामी प्रसाद मौर्य को लेकर विवादों में घिरती दिखी

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(www.arya-tv.com) उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी सभी 80 सीटों पर जीतने का दावा कर रही है। इस दावे को हकीकत में बदलने के लिए पार्टी की ओर से तमाम राजनीतिक प्रयास किए जा रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में हारी 16 सीटों पर जीत के सूत्र तलाशे जा रहे हैं। वहीं, जीती हुई सीटों पर वोट प्रतिशत को 50 फीसदी के पार लेकर जाने और आसान जीत सुनिश्चित कराने की योजना पर काम किया जा रहा है। ऐसे में उन सीटों पर चर्चा शुरू हो गई है, जिनके सांसदों को लेकर मतभेद जैसी स्थिति दिख रही है।

इसमें से एक सीट है बदायूं।यहां से भाजपा की संघमित्रा मौर्य सांसद हैं। उन्होंने समाजवादी पार्टी के सीनियर नेता और पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव को हराकर इस सीट पर कब्जा जमाया था। माना जा रहा है कि धर्मेंद्र एक बार फिर बदायूं से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। भले स्वामी प्रसाद मौर्य समाजवादी पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव बन गए हैं, लेकिन मुलायम परिवार की परंपरागत सीट बेटी के लिए खाली कराना उनके लिए मुश्किल भरा हो सकता है।

संघमित्रा मौर्य अपने पिता स्वामी प्रसाद मौर्य को लेकर विवादों में घिरती दिख रही हैं। कई बार वे स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणियों के साथ दिखती हैं। पिछले दिनों उन्होंने पिता की टिप्पणी पर सवाल भी खड़ा किया। ऐसे में सवाल यहां यह उठ रहा है कि संघमित्रा का भाजपा में भविष्य क्या होगा? इसको लेकर राजनीतिक विश्लेषकों की राय बंटी हुई है। उनका दावा है कि संघमित्रा मौर्य वर्तमान है और स्वामी प्रसाद मौर्य बीता हुआ कल हैं।

भाजपा वर्तमान के साथ आगे बढ़ती दिख सकती है, क्योंकि उनको नजरअंदाज किए जाने से मौर्य वोटरों में गलत संदेश जा सकता है। संघमित्रा भी पिता पर चुनाव में उम्मीवारी को लेकर अधिक दबाव बनाने के मूड में नहीं दिख रही हैं। इसलिए, उन्होंने पिता के बयानों पर अपनी टिप्पणी दी है। इसे भाजपा के प्रति उनके बदले रुख को दिखा रहा है।

संघमित्रा का ताजा बयान है महत्वपूर्ण

बदायूं सांसद संघमित्रा मौर्य का ताजा बयान काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पार्टी की सांसद संघमित्रा मौर्य ने अपने पिता स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर पलटवार करती आई हैं। संघमित्रा ने कहा कि किसी की आस्था को ठेस पहुंचाने वाला बयान किसी को भी नहीं देना चाहिए। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि आस्था को ठेस पहुंचाने का अधिकार किसी को नहीं है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने पिछले दिनों रामचरितमानस का मुद्दा छेड़ा था।

इसके अलावा वे साधु-संतों और हिंदू धर्मस्थलों पर भी विवादित बयान देते रहे हैं।तमाम मुद्दों पर संघमित्रा का कहना है कि हम नहीं चाहते कि विवाद खड़ा हो। हर किसी की अपनी आस्था है। कौन कहां और किस रूप में किसी चीज पर आस्था रख रहा है, यह उसका अधिकार है। किसी की आस्था को ठेस पहुंचाना, ये हमारा या किसी अन्य का अधिकार नहीं हो सकता है। हर कोई अपनी श्रद्धा के आधार पर आस्था रख सकता है। कोई नास्तिक भी हो सकता है।

जूता कांड के बाद गरमाई है चर्चा

लखनऊ के एक कार्यक्रम के दौरान स्वामी प्रसाद मौर्य पर जूता उछाले जाने का मामला इस समय खासा गरमाया हुआ है। स्वामी प्रसाद मौर्य इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित ओबीसी महासम्मेलन में भाग लेने पहुंचे थे। इसी दौरान एक युवक ने उन पर जूता उछाल दिया। इस हमले में वे बाल-बाल बच गए। बाद में पुलिस की पूछताछ के दौरान युवक ने कहा कि वह स्वामी प्रसाद मौर्य की ओर से दिए गए बयानों से आहत था। पूजा-पाठ करने का दावा करने वाले युवक ने अपने हमले को सही ठहराने की कोशिश की। हालांकि, इस पर राजनीतिक हंगामा मच गया।

पिता पर हमले पर नहीं आई प्रतिक्रिया

पिता पर हमले के बाद संघमित्रा का कोई बयान अब तक नहीं आया है। रामचरितमानस मुद्दे पर स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों पर एक समय बहस किए जाने की जरूरत बताने वाली संघमित्रा मौर्य जूता कांड पर चुप हैं। उनके ट्विटर एकाउंट पर सीएम योगी आदित्यनाथ के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर दिए गए बयान का वीडियो आपको दिख जाएगा।

इसके अलावा वे भाजपा के सीनियर नेताओं के ट्वीट भी खूब शेयर कर रही हैं, लेकिन पिता के बयानों पर उनका ट्वीट अब नहीं आ रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि वे पार्टी की नीतियों के साथ खड़ी दिखने लगी हैं। यह बदायूं से उनकी दावेदारी को एक बार फिर पुख्ता दिखाने का प्रयास माना जा रहा है।