अनुच्छेद 370 पर सुनवाई LIVE: आपकी दलील मानी तो संसद बेहिसाब ताकतवर हो जाएगी, CJI चंद्रचूड़ ने कहा

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(www.arya-tv.com) सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान बेंच आर्टिकल 370 से जुड़े मामले पर सुनवाई जारी रखेगी। मंगलवार को सुनवाई का आठवां दिन है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में कॉन्स्टिट्यूशन बेंच उन याचिकाओं को सुन रही है जिनमें अनुच्‍छेद 370 को निरस्‍त किए जाने के फैसले को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं ने अब तक की दलीलों में कहा है कि जम्मू कश्मीर संविधान सभा खत्म होने के बाद अनुच्छेद 370 ने स्थायी रूप ले लिया।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट इस दलील से प्रभावित नहीं द‍िखा। याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल की ओर से Brexit जैसे रेफरेंडम के सुझाव को भी सीजेआई ने सिरे से खारिज किया था। अदालत ने सुनवाई के दौरान यह भी पूछा कि अगर मान लिया जाए कि आर्टिकल 370 परमानेंट हो गया तो क्‍या इसे संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा माना जाएगा। पढ़ें, अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के सभी अपडेट्स।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: सीनियर एडवोकेट सीयू सिंह की दलीलें

  • वरिष्ठ वकील सीयू सिंह ने अपनी दलीलें शुरू कीं। उन्‍होंने कहा, मैं केवल जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम पर ध्यान केंद्रित करूंगा।
  • सिंह ने कहा, पुनर्गठन का बिल राष्ट्रपति द्वारा प्रस्तुत किया जाता है, राज्यसभा में पेश किया जाता है, 5 अगस्त को राज्यसभा द्वारा पारित किया जाता है, फिर 6 अगस्त को लोकसभा में पेश किया जाता है और साथ ही… लोकसभा विधेयक पारित करती है। तर्क यह है कि हम 18वें संशोधन के कारण अनुच्छेद 3 के तहत राज्यों को केंद्रशासित प्रदेशों के साथ बदल सकते हैं। 5 अगस्त 2019 को 18वां संशोधन जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं था। भाग I को एक साथ पढ़ा जाना चाहिए और जब आप इसे एक साथ पढ़ते हैं तो दो स्पष्टीकरणों के बावजूद किसी राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदलने के लिए अनुच्छेद 3 के तहत कोई शक्ति प्रदान नहीं की जाती है।370 के अलावा पुनर्गठन अधिनियम जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यदि अनुच्छेद 3 की इस व्याख्या को बरकरार रखा जाता है, तो यह लोकतंत्र और संघवाद और पूरे देश के लिए मुश्किल का एक छोटा सा अंत है। क्योंकि तब केंद्र में सत्ता में रहने वाली कोई भी पार्टी, जो राज्य में भी सत्ता में होती है, राज्य विधानसभा में साधारण बहुमत और संसद में साधारण बहुमत से राज्य को बदल सकती है।
  • सीजेआई चंद्रचूड़ ने पूछा, ‘क्या राज्य को केंद्रशासित प्रदेश में बदलना- क्या यह अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से अलग हो सकता है? सिंह ने जवाब में कहा, ‘हां, दोनों अलग हैं।’

आर्टिकल 370 पर सुनवाई: राकेश द्विवेदी ने आज क्‍या दलीलें दीं?

  • सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने आठवें दिन की सुनवाई शुरू की। सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने जिरह शुरू की। उन्‍होंने कहा कि कश्मीर का विलय अलग ढंग से हुआ। बाकी राज्यों ने 1947 से पहले ही स्टैंडस्टिल समझौते कर लिए थे क्योंकि स्टैंडस्टिल समझौता विलय की पूर्व शर्त थी। कश्मीर ने ऐसा नहीं किया।
  • राकेश द्विवेदी ने कहा, जब संविधान अपनाया गया था तब कश्मीर की स्थिति पार्ट डी राज्य की थी। फिर भी, 370 में, अनुच्छेद 238 को बाहर रखा गया। यह राज्य की स्वायत्तता के बारे में काफी कुछ कहता है।​
  • राकेश द्विवेदी ने कहा, सिर्फ भारत संघ में शामिल होने से कश्मीर ने सारी आंतरिक संप्रभुता नहीं खो दी। अनुच्छेद 1 या अनुसूची में शामिल न करने से आंतरिक संप्रभुता का नुकसान हो सकता है। 1957 में जम्मू-कश्मीर का संविधान लागू होने के बाद धारा 370 समाप्त हो जाती है।
  • सीजेआई चंद्रचूड़ ने पूछा कि धारा 370 की ऐसी कौन सी विशेषताएं हैं जो दर्शाती हैं कि जम्मू-कश्मीर संविधान बनने के बाद इसका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा? इसपर द्विवेदी ने कहा 370 के संबंध में 238 लागू नहीं होगा। इसे बदला नहीं गया है क्योंकि इसे बदलने की शक्ति नहीं है। 1952 के बाद से, खंड (3) का उपयोग नहीं किया गया है। किसी ने भी (1)(बी)(आई)- को नहीं हटाया है क्योंकि उसे बदलने की कोई शक्ति नहीं है। (1)(बी)(ii) भी देखें।
  • सीजेआई ने पूछा, 1957 में संविधान सभा द्वारा अपना निर्णय लेने के बाद, भारत के प्रभुत्व के पास संविधान के किसी भी प्रावधान को लागू करने की कोई शक्ति नहीं होगी? जवाब में द्विवेदी ने उनके पास संघ के अंतर्गत सभी प्रविष्टियां होंगी। मैं यहां यह निर्णय करने के लिए नहीं हूं कि वे सही थे या नहीं, मैं आपको बता रहा हूं कि बहस से किस इरादे का पता लगाया जा सकता है। हो सकता है कि हमें यह पसंद न हो लेकिन मैं जो दिखा रहा हूं वह इरादा है। और क्या अनुच्छेद 370 को मंशा से अलग किया जा सकता है?
  • जस्टिस कौल ने कहा, हम बहस के आधार पर एक आशय पढ़ते हैं। उसके बाद यह कैसे घटित हुआ और कैसे कार्यान्वित हुआ- उसके बारे में क्या? द्विवेदी ने कहा, उसके बाद की गई कार्रवाइयों की किसी भी मात्रा की अवैधता वैधता को उचित नहीं ठहरा सकती।
  • सीजेआई ने कहा, यदि धारा 370 समाप्त हो जाती है और धारा 1 लागू रहती है – तो जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। निश्चित रूप से, प्रत्येक लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित संस्था के अधिकार क्षेत्र को बाहर नहीं रखा गया है… तो फिर भारतीय संविधान में एक प्रावधान होना चाहिए जो जम्मू-कश्मीर को इसके दायरे से बाहर रखे।
  • सीजेआई ने कहा, अनुच्छेद 5 कहता है कि राज्य की विधायी और कार्यकारी शक्तियां उन मामलों को छोड़कर सभी मामलों तक विस्तारित होंगी जिनके संबंध में संसद के पास कानून बनाने की शक्ति है। यानी भारत के संविधान के प्रावधान। इससे पता चलता है कि भारतीय संविधान जम्मू-कश्मीर पर लागू होता है। जब तक हम यह स्वीकार नहीं करते कि धारा 370 2019 तक अस्तित्व में थी, संसद के अधिकार क्षेत्र पर कोई रोक नहीं होगी। अगर हम आपकी दलील मान लें तो संसद की शक्ति पर कोई रोक नहीं लगेगी।
  • राकेश द्विवेदी ने अपनी जिरह समाप्‍त की।

अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की 5 बड़ी बातें

  • 2 अगस्त को, सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर अंतिम सुनवाई शुरू की। अदालत ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि क्या संविधान निर्माताओं और अनुच्छेद 370 ने स्वयं इस प्रावधान की परिकल्पना स्थायी या अस्थायी के रूप में की थी। कोर्ट ने यह जानने की कोशिश की कि क्या अनुच्छेद की परिकल्पना एक स्थायी प्रावधान के रूप में केवल इसलिए की गई थी क्योंकि जम्मू और कश्मीर की संविधान सभा, जिसे प्रावधान को हटाने की सिफारिश करने का अधिकार था, 1957 में अस्तित्व में नहीं थी।
  • सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या अनुच्छेद 370 संविधान की मूल संरचना का हिस्सा बन जाएगा यदि यह स्वीकार कर लिया जाए कि 1957 में जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा भंग होने पर संविधान का अनुच्छेद 370 स्थायी हो गया था।
  • सुप्रीम कोर्ट ने 9 अगस्त को रेफरेंडम की दलील सिरे से खारिज की। सीजेआई ने कहा कि भारत जैसे संवैधानिक लोकतंत्र में सार्वजनिक मुद्दों पर लोगों की राय स्थापित संस्थाओं के माध्यम से मांगी जाती है, न कि जनमत संग्रह के माध्यम से, जैसा कि यूनाइटेड किंगडम में Brexit के मामले में हुआ था।
  • 10 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत के संविधान में कहीं भी जम्मू-कश्मीर के संविधान का उल्लेख नहीं है। भारतीय संविधान पर बाध्यकारी एकमात्र दस्तावेज भारतीय संविधान ही है। कोर्ट ने अध्यादेश के माध्यम से अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बारे में भी सवाल उठाए, जब राज्य अनुच्छेद 356 में दिए गए प्रावधान के अनुसार राष्ट्रपति शासन के अधीन है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 1948 में जम्मू-कश्मीर का भारत के साथ एकीकरण किसी भी तरह से सशर्त नहीं था।
  • सीजेआई चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की, एकीकरण हर तरह से पूर्ण और संपूर्ण था।
    अदालत ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लिए केंद्र सरकार की कानूनी शक्तियों पर दलीलें सुनते हुए टिप्पणी की कि किसी शक्ति के अस्तित्व और ऐसी शक्ति के कथित दुरुपयोग के बीच अंतर है।

अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद जम्मू में बढ़ी आतंकवादी गतिविधियां: आंकड़े

  • जम्मू कश्मीर से अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद जम्मू क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों में बढ़ोतरी हुई है। पिछले करीब चार वर्ष में आतंकवादियों की भर्ती की घटनाओं में भी इजाफा हुआ। सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
  • आंकड़ों के मुताबिक, जम्मू क्षेत्र में आतंकवाद विरोधी अभियानों में पांच अगस्त 2019 से 16 जून 2023 के बीच 231 आतंकवादियों और उनके मददगारों की गिरफ्तारी की गई है जो 27 अक्टूबर 2015 से चार अगस्त 2019 के बीच हुई ऐसी गिरफ्तारियों की तुलना में 71 प्रतिशत ज्यादा हैं।
  • आंकड़ों के मुताबिक, अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू क्षेत्र में आठ ग्रेनेड और 13 IED हमले दर्ज किए गए। 27 अक्टूबर 2015 से चार अगस्त 2019 तक चार ग्रेनेड और सात IED हमले दर्ज किए गए थे। IED विस्फोटों में हताहतों की संख्या 2015-19 में तीन से 2019-2023 में 73 प्रतिशत बढ़कर 11 हो गई।
  • आतंकवादियों की भर्ती की घटनाओं में 39 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया गया। ऐसे मामले आठ से बढ़कर 13 हो गए हैं।
    पिछले करीब चार सालों में आतंकी हमलों में आम लोगों और सुरक्षाबलों के मारे जाने की संख्या में खासी गिरावट आई है। 27 अक्टूबर 2015 से चार अगस्त 2019 तक 11 आम लोग मारे गए थे।
  • अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद सात आम लोगों की जान गई है। इसमें 63 प्रतिशत की कमी आई है।
  • केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया था। राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों — जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था।