मासूमों के लिए मौत का दूसरा नाम थी इंसेफेलाइटिस, हमने इसका दम निकाल दिया-योगी

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(www.arya-tv.com) मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज से संचारी रोग नियंत्रण एवं दस्तक अभियान का प्रदेश व्यापी शुभारंभ किया। 1 जुलाई से 31 जुलाई तक चलने होने वाले संचारी रोग नियंत्रण अभियान और 16 से 31 जुलाई तक संचालित होने वाले दस्तक अभियान की शुरूआत सीएम ने शुरूआत की। साथ ही विशेष संचारी अभियान की रैली को हरी झंड़ी दिखा कर रवाना किया।

4 साल पहले सबने देखा था दीमागी बुखार का कहर
मुख्यमंत्री इस कार्यक्रम में संचारी रोग नियंत्रण एवं दस्तक अभियान की पूर्व की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए कहा कि आज का यह कार्यक्रम उन लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जिन्होंने आज से 4 साल पहले यहां दीमागी बुखार का कहर देखा है।

पूर्वी उत्तर प्रदेश और एक समय में करीब 38 जिले दीमागी बुखार से एक साथ प्रभावित हुआ करते थे। जुलाई महीने से इन इलाकों में मासूमों की मौत का कहर शुरू होने लगती थी, ले​किन हम हमें इस बात की खुशी है कि हमने इस बीमारी पर पूरी तरह से काबू पा लिया है।

2017 से साल दर साल काबू में आती गई इंसेफेलाइटिस
मुख्यमंत्री ने कहा कि इंसेफेलाइटिस 2017 से साल दर साल काबू में आती गई है। इसे नियंत्रित करने वाली सरकार अब बची खुची बीमारी को भी नियंत्रित करने की तैयारी में जुट गई है। कभी यह बीमारी पूर्वांचल के मासूमों के लिए मौत का दूसरा नाम थी। चार दशक तक इसकी परिभाषा यही रही। पर, सिर्फ 5 साल में इसे काबू में कर यूपी सरकार ने इस जानलेवा बीमारी का ही दम निकाल दिया है।

दो साल में नहीं हुई एक भी मौत
उन्होंने कहा कि यह हम सभी के लिए खुशी का पल है कि पिछले साल और इस साल गोरखपुर जिले में अब तक जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) से एक भी मौत नहीं हुई है। यही नहीं इस साल सामने आए एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के 27 मरीजों में से भी सभी सुरक्षित हैं। इंसेफेलाइटिस को काबू में करने में संचारी रोग नियंत्रण अभियान और दस्तक अभियान के परिणाम बेहद सकारात्मक रहे हैं। आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं।

CM ने गिनाएं आकड़ें
वर्ष 2016 व 2017 में जहां गोरखपुर जिले में एईएस के क्रमशः 701 व 874 मरीज थे और उनमें से 139 व 121 की मौत हो गई थी। वहीं, 2021 में मरीजों की संख्या 251 और मृतकों की संख्या सिर्फ 15 रह गई। जापानी इंसेफेलाइटिस के मामले में जहां 2016 व 2017 में क्रमशः 36 और 49 मरीज मिले थे और उनमें से 9 व 10 की मौत हो गई थी।

वहीं 2021 में जेई के 14 व चालू वर्ष में सिर्फ पांच मरीज मिले और मौत किसी की भी नहीं हुई। यानी जेई से होने वाली मौतों पर शत प्रतिशत नियंत्रण। एईएस से होने वाली मौतों पर भी 95 प्रतिशत तक नियंत्रण पा लिया गया है। एईएस को लेकर थोड़ी सी जो कसर रह गई है, उसे भी दूर करने की मुकम्मल तैयारी कर ली गई है।