(www.arya-tv.com) आने वाले दिनों में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं। वहां कांग्रेस अपना किला बचाने के लिए मैदान में उतरेगी। आगामी चुनाव में कांग्रेस की रणनीति, BJP के दुष्प्रचार की काट, प्रदेश की सियासत और पंजाब में आप के साथ तालमेल। इन जैसे तमाम मुद्दों पर मंजरी चतुर्वेदी ने कांग्रेस के मौजूदा राजस्थान प्रभारी और पंजाब सरकार में पूर्व मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा से बात की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश :
– आगामी राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए आप क्या संभावनाएं देखते हैं?
अहम बात है कि वहां सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी नहीं है। गहलोत सरकार ने लोगों के लिए जो काम किए हैं, खासकर स्वास्थ्य का जो अधिकार दिया है, वह बहुत बड़ी बात है, जिसमें 25 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज मिलता है। भारत में यह कदम किसी भी सरकार ने नहीं उठाया है। सरकार वहां 100 यूनिट हर महीने फ्री बिजली दे रही है, बिजली पर लगने वाले कई तरह के सरचार्ज भी बंद कर दिए गए हैं, जिसमें राज्य की लगभग 85 फीसदी जनता कवर हो रही है।
सरकार वहां ₹1000 प्रति माह बुजुर्गों को पेंशन दे रही है। 500 रुपये में गैस सिलिंडर मिल रहे हैं। किसानों को हर महीने 2000 यूनिट बिजली फ्री है। पिछले चुनाव में हमने अपने घोषणापत्र में जो भी वादे किए थे, वे सभी पूरे किए हैं।
– कांग्रेस अशोक गहलोत सरकार के कामकाज को लेकर चुनावों में जाने की योजना बना रही है, लेकिन विपक्ष के निशाने पर सीधे गहलोत हैं। इसे कैसे काउंटर करेंगे?
हर सरकार विपक्ष के निशाने पर रहती है। BJP ‘नहीं सहेगा राजस्थान’ का नारा बुलंद कर रही है, हमारा कहना है कि राजस्थान ही नहीं, अब आपको हिंदुस्तान भी नहीं सहेगा। हम उनसे पूछेंगे कि क्या राजस्थान चिरंजीवी योजना को नहीं सहेगा या राजस्थान ₹500 का सिलेंडर नहीं लेगा? क्या हर बिल पर 200 यूनिट बिजली फ्री देना गलत है? क्या हिंदुस्तान इसे नहीं सहेगा? हमने कोऑपरेटिव बैंकों के 14000 करोड़ के कर्ज माफ किए।
हम भारत सरकार से लगातार मांग करते रहे कि आप राष्ट्रीयकृत बैंकों में किसानों के कर्ज के बारे में हमें जानकारी दें, लेकिन आज तक हमें यह जानकारी नहीं मिली। ये सारी चीजें हम जमीन पर लोगों के बीच लेकर जाएंगे।
– आप मणिपुर के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरते रहे हैं, जबकि BJP राजस्थान में लगातार महिलाओं की स्थिति और कानून व्यवस्था को लेकर आप पर हमलावर है...
मणिपुर की तुलना राजस्थान से नहीं कर सकते। मणिपुर में जो कुछ भी हो रहा है, वहां पुलिस मूकदर्शक बनकर देख रही है। राजस्थान में जो कुछ हुआ, हमने तुरंत उन दोषियों को पकड़ा और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की। महिला सुरक्षा के लिए हम और भी सख्त कानून लाएंगे, ताकि महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों को रोका जा सके।
– सचिन पायलट को कांग्रेस वर्किंग कमिटी में जगह मिली है। राजस्थान में उनकी कोई भूमिका रहेगी या नहीं? और रहेगी तो क्या?
पिछले दिनों प्रदेश चुनाव समिति की बैठक हुई थी, जिसमें सीएम गहलोत और पार्टी के दूसरे बड़े नेताओं के साथ सचिन पायलट भी मौजूद थे, जबकि BJP में उनके बड़े नेता मीटिंग में नहीं जा रहे हैं। मजे की बात है कि मीडिया कांग्रेस पर तो खबर लिखता है, लेकिन BJP के बारे में कुछ नहीं दिखाता। गहलोत और पायलट दोनों ही पार्टी के बड़े नेता हैं।
हमारे आपस में मनमुटाव हो सकते हैं, लेकिन कांग्रेस के लिए किसी के मन में कुछ नहीं है। जहां तक पायलट की बात है तो वह भी प्रदेश स्क्रीनिंग कमिटी के सदस्य हैं, टिकटों पर चर्चा के दौरान वह भी मौजूद रहते हैं। इस बारे में जो भी फैसला होगा, वह सबकी सहमति से होगा।
– आप देश के सरहदी सूबे पंजाब से आते हैं। वहां जिस तरह से सुरक्षा को लेकर लगातार चुनौतियां सामने आ रही हैं, उसके मद्देनजर वहां की कानून व्यवस्था को कैसे देखते हैं?
हमारे मुख्यमंत्री बहुत ज्यादा बोलते हैं। पंजाब में बाढ़ आई हुई है और हमारे सीएम साहब मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनावी भाषण दे रहे हैं। कानून व्यवस्था लगातार कमजोर हो रही है। वहां आज कोई नहीं जानता कि कब कहां किसके साथ क्या हो जाए? राज्य सरकार को इसके बारे में सोचना पड़ेगा और मुझे नहीं लगता कि केंद्र को इसमें आना चाहिए, क्योंकि 50 किलोमीटर पर पहले ही BSF का अधिकार हो चुका है।
आज आधा पंजाब BSF के तहत आ चुका है। वहां सीमा पर लगातार ड्रग, हथियार और ड्रोन आ रहे हैं। मेरा मानना है कि पंजाब का पुलिस-प्रशासन और मजबूत होना चाहिए। जो सत्ता में आने के पहले जल्द से जल्द नशा खत्म करने का दावा करते थे, उनके राज्य में सबसे ज्यादा नशे का धंधा, डकैती, गैंगबाजी चल रही है।
– विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के मंच पर कांग्रेस और आप साथ-साथ दिख रहे हैं, लेकिन दिल्ली और पंजाब प्रदेश कांग्रेस आप के साथ तालमेल का विरोध कर रही है। प्रदेश नेता के तौर पर इस बारे में आपकी क्या राय है?
कोई भी गठबंधन विश्वास और भरोसे के आधार पर चलता है, आरोपों के साथ नहीं। आप शर्तों और धमकियों के आधार पर अलायंस नहीं कर सकते। जहां तक दिल्ली वाले बिल का सवाल था तो कांग्रेस को इसका विरोध करना ही था, क्योंकि कांग्रेस हमेशा से संघवाद और राज्यों के अधिकारों के पक्ष में रही है।
पंजाब के सीएम साहब जिस तरह से कांग्रेस नेताओं के खिलाफ जहर उगलते हैं, उनका चरित्र हनन करते हैं, यह सब पंजाब कांग्रेस के नेताओं को कैसे सहन होगा? कांग्रेस एक अनुशासित पार्टी है, हाईकमान जो भी फैसला लेगा, उसे मानना होगा। लेकिन हमने हाईकमान से अपील की है कि इनके व्यवहार और रवैये को देखते हुए इस पर पुनर्विचार होना चाहिए, वरना कांग्रेस को बहुत नुकसान होगा।