- विपुल लखनवी ब्यूरो प्रमुख पश्चिमी भारत
नवी मुंबई। गोल्डन ह्यूमेनिटी अवार्ड एवं होपमिरर फाउंडेशन की ओर से नवी मुंबई के विभिन्न क्षेत्रों के पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, पुलिस कर्मियों का विष्णुदास भावे में केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले, दादा साहब फाल्के के वंसज (पोता) चन्द्रशेखर फाल्के एवं अभिनेत्री सिमरन आहूजा के हाथों ट्रॉफी देकर सम्मानित किया गया। इस अवतार पर खबरें आज तक की हिंदी पत्रकार सुरेंद्र सरोज को भी सम्मानित किया गया।
पत्रकार एक ऐसा वर्ग है जो वास्तव में समाज में वह स्थान नहीं पा पता है जो उसको मिलना चाहिए इसका कारण यह है की कुछ बिकाऊ पत्रकार पत्रकारिता के पेशे को, यदि हम पूर्व मंत्री वीके सिंह के शब्दों में बोले तो प्रॉस्टिट्यूट बनाए हुए हैं। वह इसी प्रकार पैसा कमाते हैं दिल्ली में पत्रकारों के पास 50 करोड़ से लेकर 150 करोड़ तक के फ्लैट कहां से आते हैं क्या ईमानदारी से कोई पत्रकार इतना कमा सकता है। इनको सरकारी और खास तौर से पुरानी सरकारें विभिन्न प्रकार की रिश्वत देकर पत्रकारिता को बदनाम करने का काम करती चली आई है। इसका दंड श्रमजीवी पत्रकार जो एक मजदूर की भांति समाचार को पत्रों के लिए ढूंढता है और दलाली करने वाले पत्रकार तो दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर धन के ढेर पर बैठ जाते हैं किंतु छोटे पत्रकार अपनी आजीविका भी नहीं चला पाते। इसका कारण यह है कि वे यदि किसी से तनिक भी धनराशि की अपेक्षा करते हैं तो इसमें क्या बुराई है सवाल यह है कि आप अपना समाचार क्यों लगवाना चाहते हैं जिससे कि आपको शोहरत मिले समाज में आपका रुतबा बढ़े आप बड़े-बड़े होल्डिंग्स के ऊपर बड़े-बड़े कार्यक्रमों में लाखों रुपए खर्च कर देते हैं पानी की तरह बहा देते हैं लेकिन किसी पत्रकार को यदि तनिक से धनराशि देनी पड़े तो आपको तकलीफ होने लगती है।
इसलिए समाज में यह आवश्यक है कि हम श्रमजीवी पत्रकार का विशेष रूप से ध्यान रखें और उनको सम्मान देना सीखे। किन्तु पत्रकारों को भी यह ध्यान रखना चाहिए कि समाज सेवा से जुड़े समाचारों को बिना किसी अपेक्षा के छापने का प्रयास करना चाहिए। जोकि आजकल बहुत कम दिखाई देता है। मैं तो व्यक्तिगत रूप से बड़े-बड़े समाचार पत्रों को जिनकी लाखों में प्रतियां छपती है उनके रिपोर्टर बिना पैसे के समाचार नहीं छापते हैं। यह बहुत ही दुखद है और यह पत्रकारिता को कहां तक ले जाएगा यह तो आने वाला समय ही बतायेगा ?