(www.arya-tv.com) कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए कारगर दवा रेमडेसिविर दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक समेत बड़े राज्यों में न मिलने से संकट पैदा हो गया है। तीमारदार मरीजों की जान बचाने के लिए इसे दोगुने दाम पर ब्लैक मार्केट से खरीद रहे हैं। देश में दवा के जेनेरिक संस्करण कोविफोर की पर्याप्त खेप न तैयार हो पाने से भी अस्पताल और मरीज जूझ रहे हैं।
दिल्ली के कुछ अस्पतालों में दवा उपलब्ध है, लेकिन पर्याप्त स्टॉक न होने से बाहरी मरीजों को बिक्री तो दूर अपनी जरूरतें भी पूरी नहीं हो रहीं। आरएमएल अस्पताल में परिजनों के एक समूह ने कहा कि 33 साल के उनके मरीज को सांस लेते नहीं बन रहा है। डॉक्टरों ने उन्हें रेमडेसिविर दवा लाने को कहा, लेकिन दवा नहीं मिली। थोक विक्रेताओं ने भी हाथ खड़े कर दिए। मरीज का नाम न छापने की शर्त पर परिजनों ने बताया कि आठ घंटे मेहनत के बाद एक फार्मेसी वाले ने ब्लैक में आठ हजार रुपये में यह दवा मुहैया कराई। लोकनायक के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर सुरेश कुमार ने कहा कि उनके अस्पताल ने हाल ही में रेमडेसिविर का स्टॉक मंगवाया है, लेकिन इसका इस्तेमाल अस्पताल के ही मरीजों पर ही कर रहे हैं।
मुंबई में दवा न मिलने से सरकारी अस्पताल और मरीज परेशान
मुंबई के सरकारी अस्पतालों में यह दवा नहीं है। डॉक्टर तीमारदारों से बाहर से दवा लाने को कह रहे हैं, लेकिन यह मिल नहीं रही। निजी अस्पतालों द्वारा ज्यादातर स्टॉक करने से किल्लत हो गई।
कर्नाटक और तमिलनाडु में भी किल्लत
कर्नाटक और तमिलनाडु में भी मरीज और अस्पताल रेमडेसिविर की हर फार्मेसी में तलाश कर रहे हैं, जो दो से तीन गुना दाम पर मिल रही है। सरकारी अस्पताल में भर्ती गरीब मरीज संकट में हैं।
दवाइयों के सबसे बड़े थोक बाजार में भी स्टॉक नहीं
रेमडेसिवर की प्रति खुराक कीमत 5400 रुपये है और इलाज के लिए जरूरी छह डोज के हिसाब से 32,400 रुपये खर्च आता है, लेकिन ब्लैक मार्केट में कम से कम आठ हजार रुपये कीमत ही मान लें तो दो तिहाई ज्यादा दाम चुकाने पड़ रहे हैं। वहीं, देश में दवाइयों के सबसे बड़े थोक बाजार दिल्ली के भागीरथ पैलेस से भी रेमडेसिविर का स्टॉक नहीं है।
उधर, अमेरिका ने सारा स्टॉक खरीदा
अमेरिका ने कोरोना के गंभीर मरीजों की जान बचाने में सफल रही रेमडेसिविर का तीन माह का दुनिया भर का स्टॉक खरीद लिया है। यूरोप, ब्रिटेन के सामने इस कारण मुश्किल खड़ी हो गई है।
कई देशों से मंजूरी के बाद मांग में तेज उछाल
रेमडेसिविर एकमात्र दवा है, जिसे कोरोना इलाज के लिए अमेरिका, भारत समेत कई देशों में मंजूरी मिली थी, जिसके बाद मांग में तेज उछाल आय़ा। लीवरपूल यूनिवर्सिटी के सीनियर रिसर्च फेलो डॉ. एंड्र्यू हिल ने कहा कि पांच माह से हम दवा के परीक्षणों के नतीजों का इंतजार कर रहे थे, लेकिन अमेरिका दवा के सफल साबित होने के बाद सारा स्टॉक हड़प कर गया।