अरब सागर में अब समुद्री लुटेरों की खैर नहीं… 10 युद्धपोत, मरीन कमांडो, गश्ती विमान से लेकर एडवांस ड्रोन तक, जानें कैसी है तैयारी

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(www.arya-tv.com) समुद्री सुरक्षा के लिए भारतीय नेवी लगातार खुद को मजबूत बना रही है। इस क्रम में भारतीय नौसेना की तरफ से अब उत्तरी और मध्य अरब सागर से लेकर अदन की खाड़ी तक फैले क्षेत्र में समुद्री कमांडो के साथ 10 से अधिक अग्रिम पंक्ति के युद्धपोतों को तैनात किया है।

इससे फ्लैग दिखाने और समुद्री डकैती और ड्रोन हमलों को रोकने के लिए अपनी नौसैनिक उपस्थिति को और बढ़ाया जा रहा है। यह अभूतपूर्व ‘एडवांस समुद्री सुरक्षा अभियान’ भारत की तरफ से स्वतंत्र रूप से संचालित किया जा रहा है।

भारत ने यमन के हूती विद्रोहियों की तरफ से सिविल और सैन्य जहाजों पर हमलों के बाद दिसंबर में लाल सागर में शुरू किए गए अमेरिकी नेतृत्व वाले बहुराष्ट्रीय ‘ऑपरेशन समृद्धि गार्जियन’ में शामिल होने से परहेज किया है।

ड्रोन अटैक से समुद्री मार्गों को खतरा

वरिष्ठ अधिकारियों ने सोमवार को हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि कॉमर्शियल जहाजों पर बढ़ती समुद्री डकैती और ड्रोन हमलों से संचार के महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को खतरा पैदा हो गया है। इससे माल ढुलाई दरों में पहले से ही बड़ी उछाल आई है, भारतीय नौसेना भी अरब सागर में ‘लगातार उपस्थिति’ बनाए रख रही है।

एक अधिकारी ने कहा कि समुद्री डाकुओं और ड्रोन हमलों के दोहरे खतरों के खिलाफ निगरानी और निरोध बढ़ाने के लिए भारतीय युद्धपोत पूरे क्षेत्र में तैनात हैं। इसका उद्देश्य अरब सागर में स्थिति को स्थिर करने और शुद्ध समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने में मदद करना है।

जानें क्या-क्या हैं तैनात

इसमें नियमित ISR (खुफिया, निगरानी और टोही) मिशनों को P-8I लंबी दूरी के समुद्री गश्ती विमान और MQ-9B सी गार्जियन ड्रोन भी शामिल है। इन दोनों में लगे इलेक्ट्रो-ऑप्टिक और अन्य एडवांस सेंसर पश्चिमी तट से हाई-रिजॉल्यूशन इमेजरी की ‘लाइव फीड’ प्रदान करने में सक्षम हैं।

तैनात किए गए युद्धपोतों में आईएनएस कोलकाता, आईएनएस कोच्चि, आईएनएस चेन्नई और आईएनएस मोर्मुगाओ जैसे गाइडेड-मिसाइल विध्वंसक के साथ-साथ आईएनएस तलवार और आईएनएस तरकश जैसे मल्टी-रोल वाले युद्धपोत शामिल हैं।

नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल भी देश के स्पेशल इकोनॉमिक जोन की बढ़ी हुई निगरानी का बारीकी से समन्वय कर रहे हैं।

लाइबेरियाई जहाज के अपहरण की कोशिश नाकाम

यह 7,500 टन वजनी आईएनएस चेन्नई और उसके समुद्री कमांडो थे जिन्होंने 5 जनवरी को लाइबेरिया के झंडे वाले मर्चेट शिप एमवी लीला नोरफोक के अपहरण के प्रयास को विफल कर दिया था।

उन्होंने उत्तरी अरब सागर में 21 सदस्यीय चालक दल को बचाया था। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि हमारे युद्धपोतों ने क्षेत्र में चलने वाले बड़ी संख्या में जहाजों की जांच की है…कई पर समुद्री कमांडो सवार हैं।

नौसेना ने इस बात को भी ‘गलत धारणा’ बताकर खारिज कर दिया कि उसके युद्धपोत ड्रोन हमलों के खिलाफ तैयार नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि उनके पास विभिन्न प्रकार की बंदूकें, छोटी और मध्यम दूरी की वायु रक्षा मिसाइलें और साथ ही कुछ जैमर हैं जिनका उपयोग आवश्यकता पड़ने पर किया जा सकता है।

‘ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्जियन’ का हिस्सा नहीं

हालांकि भारतीय नौसेना लाल सागर में ‘ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्जियन’ का हिस्सा नहीं है लेकिन समग्र रूप से मजबूत करने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस सहित ‘मित्र विदेशी देशों’ की सभी नौसेनाओं के साथ ‘जानकारी और समन्वय का निरंतर आदान-प्रदान’ किया जा रहा है।

नौसेना का सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र (आईएमएसी), जो हिंद महासागर क्षेत्र में खतरों का आकलन करने के लिए तटीय राडार से लेकर उपग्रहों तक कई स्रोतों से फ़ीड लेता है। इसमें सूचना संलयन केंद्र – हिंद महासागर क्षेत्र (IFC-IOR) गुरुग्राम की भूमिका रहती है।

इसमें एक दर्जन से अधिक देशों के अंतर्राष्ट्रीय संपर्क अधिकारी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अधिकारी ने कहा कि इस क्षेत्र में नौसेना की ‘मिशन-आधारित तैनाती’ उभरती सुरक्षा चुनौतियों का त्वरित जवाब देने में सक्षम है।

भारत अक्टूबर 2008 से अदन की खाड़ी में समुद्री डकैती रोधी गश्त पर नियमित रूप से युद्धपोत तैनात कर रहा है। तब से लगभग 110 ऐसे जहाज तैनात किए जा चुके हैं।