मालदीव पर सख्ती के साथ नरमी भी बरत रहा है भारत, समझिए चीन वाला कनेक्शन

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(www.arya-tv.com) मालदीव को लेकर सोशल मीडिया में भले ही भारतीय अपना गुस्सा अलग अलग ढंग से जाहिर कर रहे हैं लेकिन भारत सरकार ने इस पर बैलेंस रुख अख्तियार किया है। मालदीव और भारत के रिश्ते काफी पुराने तो हैं ही साथ ही रणनीतिक तौर पर भी मालदीव जिस जगह पर बसा है वह भारत के लिए अहम है।

मालदीव क्यों है भारत के लिए अहम, समझिए

हिंद महासागर में बसे होने की वजह से मालदीव भारत के लिए अहम है। हिंद महासागर की अहमियत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि मल्टी एजेंसी मेरिटाइम सिक्योरिटी ग्रुप की पहली मीटिंग में नैशनल सिक्योरिटी अडवाइजर (एनएसए) अजीत डोभाल ने कहा था कि ‘हिंद महासागर रीजन में भी जियो पॉलिटिकल सिनेरियो बदल रहा है।

पहले यह ओशन ऑफ पीस (शांति का महासागर) था लेकिन यह अब बदल रहा है। अब समुद्र में इंटरनैशनल विरोधी हैं, कॉम्पिटीशन है, अपने अपने इंटरेस्ट को लेकर संघर्ष है। इसलिए हमारे लिए अहम है कि हम इस स्थिति में अपने इंटरेस्ट को बचाएं।‘

मुसीबत में एक-दूसरे की मदद

मालदीव भारत का करीबी रहा है और जरूरत पड़ने पर भारत ही मालदीव की मदद करता रहा है। लेकिन मालदीव और भारत के बीच की दूरी चीन को वहां अपनी पकड़ बनाने का रास्ता दे सकती है। वैसे ही मालदीव की मौजूदा सरकार को चीन की तरफ झुकाव वाला माना जाता है।

चीन मालदीव में उसी रणनीति पर काम कर रहा है जैसे उसने श्रीलंका या पाकिस्तान में किया। चीन इन देशों को अपने कर्ज में डुबोकर उसका फायदा उठाता है। चीन लगातार हिंद महासागर रीजन में अपनी गतिविधियां बढ़ा रहा है।

इस रीजन में हर वक्त चीन के 6 से लेकर 8 तक शिप रहते हैं। उनकी काफी फिशिंग वेसल ऑपरेट करती हैं और उनके रिसर्च वेसल भी हैं।

चीन की हरकत से भारत अलर्ट

हिंद महासागर में चीन अपनी ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ रणीनीति पर काम कर रहा है। इसके तहत चीन हिंद महासागर के आस पास के देशों में रणनीतिक बंदरगाह बना रहा है, इंफ्रास्ट्रक्चर बना रहा है ताकि जरूरत पड़ने पर उनका मिलिट्री इस्तेमाल कर सके।

चीन की मौजूदगी पाकिस्तान के ग्वादर से लेकर हॉर्न ऑफ अफ्रीका में जिबूती और श्रीलंका के हंबनटोटा तक है। ये बंदरगाह चीन की हिंदमहासागार रीजन में मिलिट्री पहुंच बढ़ा रहे हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर मालदीव से भारत की दूरी बढ़ी और चीन उनके ज्यादा करीब आ गया तो वह हिंद महासागर में परेशानी बढ़ा सकता है।

साथ ही भारत का सारा समुद्री ट्रैफिक यहीं से आता है। अगर चीन वहां अपनी पकड़ बना कर कुछ हरकत करता है और भारत को अपना ट्रैफिक डायवर्ट करना पड़ता है तो यह महंगा भी साबित होगा।