कानपुर उद्योग व्यापार मंडल टूट के कगार पर:विनोद गुप्ता ने व्यापार मंडल से दिया इस्तीफा

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(www.arya-tv.com) कानपुर उद्योग व्यापार मंडल के चुनाव में मंडल के चुनाव में प्रदेश अध्यक्ष मुकुंद मिश्रा गुट ने एकतरफा जीत हासिल की है। सभी तीन प्रमुख पदों पर इसी गुट के प्रत्याशी जीते। निवर्तमान महामंत्री विनोद गुप्ता गुट ने धांधली के आरोप लगाते हुए चुनाव का बहिष्कार किया और व्यापार मण्डल से इस्तीफा भी दे दिया।

चुनाव का किया बहिष्कार
गुजरात भवन नयागंज में मंगलवार सुबह 10 बजे से मतदान शुरू हुआ। बहिष्कार करने वाले विनोद गुप्ता गुट के प्रत्याशी मतदान स्थल पर नहीं पहुंचे। मतदान 4 बजे तक हुआ। चुनाव में 878 में से 569 सदस्यों ने वोट डाले। मुकुंद गुट से अध्यक्ष पद के लिए राजेश गुप्ता, महामंत्री के लिए कृपाशंकर त्रिवेदी और कोषाध्यक्ष के लिए प्रदीप चुनाव मैदान में थे।

जबकि विनोद गुट से निर्मल त्रिपाठी अध्यक्ष, विजय गुप्ता महामंत्री तथा हिमांशु पाल कोषाध्यक्ष पद के लिए लड़े। विनोद गुप्ता के पैनल ने मुकुंद मिश्रा खेमे पर फर्जी सदस्य बनाने का आरोप लगाया था। उन्होंने सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। विनोद का कहना है कि उनके साथ भारी संख्या में व्यापारी इस्तीफा देने को तैयार बैठे हैं। चुनाव अधिकारी रामेश्वर लाला का कहना है कि पूरी चुनाव संवैधानिक प्रक्रिया के तहत हुआ है।

ये जीते निर्विरोध
उपाध्यक्ष, मंत्री, संगठन मंत्री, प्रचार मंत्री और वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद पर निर्विरोध निर्वाचन हो चुका है। वरिष्ठ मंत्री पद पर पंकज अग्रवाल, मुकेश गौड़, मंत्री पद पर जीतेंद्र गुप्ता, रोशन गुप्ता, सतीश तिवारी, अजीत कुमार गुप्ता, मुन्ना अवस्थी, अजय कुमार जायसवाल, संजय अग्रवाल, शैलेंद्र गुप्ता, उदयभान सिंह, राकेश अग्निहोत्री निर्विरोध जीत चुके हैं।

वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद पर धीरेंद्र गुप्ता, चंद्र प्रकाश ओमर, उपाध्यक्ष पद के लिए शिव कुमार शुक्ला, संतोष गुप्ता, नवनीत जायसवाल, रामशंकर शुक्ला, गुड्डी शर्मा, उमाशंकर गुप्ता, अनिल गुप्ता, महिंदर सिंह, उमाशंकर गुप्ता, केशव कुमार गुप्ता , मोहनलाल गुप्ता भी निर्विरोध जीत चुके हैं।

कई बार टूट चुका हैं व्यापार मंडल
विनोद गुप्ता के त्यागपत्र के बाद व्यापार मंडल में एक और टूट होने की आशंका है। पहली बार 1991 में लखनऊ में संदीप बंसल गुट ने नया संगठन बनाया तो 1993 में सुरेंद्र मोहन अग्रवाल से अलग हुए।

2003 में बनवारीलाल कंछल मूल संस्था उप्र उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल पर पांच साल तक चली कानूनी लड़ाई के बाद काबिज हो गए। फिर संगठन के संस्थापक श्यामबिहारी मिश्र (अब दिवंगत) को नया संगठन उद्योग व्यापार मंडल बनाना पड़ा। 2007 में ज्ञानेश मिश्र गुट अलग हुआ।