- इंदिरा भवन में हुई संगोष्ठी में वक्ताओं ने अकादमी के अपने भवन की भी मांग पुरजोर उठायी
लखनऊ 17 मार्च। उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी स्थापना के 27 साल पूरे होने के अवसर पर सोमवार 17 मार्च को इन्दिरा भवन के चौथे तल पर स्थित अकादमी कार्यालय परिसर में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसका विषय ‘‘अकादमी के उद्देश्य और इसके सापेक्ष बढ़ते कदम’’ था। इस अवसर पर विद्वानों ने अकादमी के अपने भवन की मांग भी पुरजोर उठायी। इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजक अरविन्द नारायण मिश्र ने संगोष्ठी में उपस्थित विद्वानों का अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान भी किया।
संगोष्ठी में आमंत्रित पूर्व उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह बग्गा ने कहा कि साल 2007 में पंजाबी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए अकादमी का बजट शासन द्वारा 05.00 लाख रुपए किया गया था, जिसके परिप्रेक्ष्य में अकादमी ने अपने कार्यक्रमों के माध्यम से पंजाबी भाषा के संरक्षण एवं संवर्द्धन के क्रम में अपना पहला कदम बढ़ाया था।
संगोष्ठी में अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष हरपाल सिंह जग्गी ने कहा कि साल 2016 में शासन द्वारा अकादमी का बजट 10.00 लाख रुपए से बढ़ाकर 01.00 करोड़ रुपए तक किया गया। इससे उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी की गतिविधियों, कार्यक्रमों और योजनाओं को नई उड़ान मिली।
संगोष्ठी में अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष इकबाल सिंह ने कहा कि अकादमी के निरन्तर गतिमान होने के लिए कर्मचारियों के साथ-साथ उपाध्यक्ष और सचिव को नामित किये जाने की नितान्त आवश्यकता है, जिससे अकादमी के कार्य बाधित न होने पाये। इसके साथ ही उन्होंने अकादमी के अपने भवन और पांच से पच्चीस कर्मचारियों की भी आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने यह भी मशविरा दिया कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों में पंजाबी विषय से स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर शिक्षा व्यवस्था लागू किये जाने की मान्यता दी जाये।
संगोष्ठी में अरविंद नारायण मिश्र ने बताया कि उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी का मूल उद्देश्य पंजाबी भाषा, साहित्य, कला और संस्कृति का प्रचार-प्रसार, संरक्षण और संवर्द्धन करना है। इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए विद्वान गोष्ठी, कवि सम्मेलन, कवि दरबार, काव्य गोष्ठी, नाटक, नृत्य, गीत, कीर्तन, दरबार, लाईट एण्ड साउण्ड शो, फिल्म शो ही नहीं पंजाबी छात्र प्रतियोगिता, छात्र प्रोत्साहनवृत्ति, पंजाबी भाषा में छात्र निबन्ध लेखन, भाषण, गीत प्रतियोगिता के साथ-साथ पंजाबी सरल शिक्षण कार्यक्रम के अन्तर्गत गुरुमुखी लिपी को पढ़ाने लिखाने का कार्य मुख्य रूप से किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अकादमी ने पंजाब के शिक्षण पद्धति के अनुरूप नए पाठ्यक्रम और शिक्षण मॉड्यूल तय किए हैं, ताकि विद्यार्थी आसान तरीके से पंजाबी भाषा और उसकी संस्कृति को समझ सकें। अकादमी ने पंजाबी भाषा गुरुमुखी लिपि में कई पुस्तकें प्रकाशित की हैं, जो भाषा और संस्कृति के विकास में योगदान दे रही हैं। इसके साथ ही अकादमी ने पंजाबी भाषा का प्रसार प्रदेश भर में करने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन किया है। संगोष्ठी में अकादमी के पूर्व सदस्य लखविन्दर पाल सिंह के साथ पंजाबी साहित्यकार देवेन्दर पाल सिंह, डॉ. सत्येन्द्र पाल सिंह, नरेन्द्र सिंह मोंगा, मेजर डॉ. मनमीत कौर सोढ़ी, मंजीत कौर, शरनजीत कौर, रनदीप कौर, रवनीत कौर, अजीत सिंह, त्रिलोक सिंह, सरबजीत सिंह, सर्वजीत सिंह सहित अन्य पंजाबी विद्वानों ने भी उपरोक्त विषय पर अपने-अपने वक्तव्य प्रस्तुत किये।