महामारी में भी नहीं छोड़ा हौसला; बिना संसाधन के शिक्षिका ने 22 गांवों के 1300 बच्चों को बनाया साक्षर

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(www.arya-tv.com)प्राथमिक हो या माध्यमिक विद्यालय यहां के शिक्षक सिर्फ सरकार से मोटी पगार लेने को आतुर रहते हैं। पढ़ाने के नाम पर सिर्फ कोरम पूरा करने का काम करते हैं। आमतौर पर यही धारणा लगभग सभी के मन में होती है मगर बाराबंकी में एक शिक्षिका ऐसी भी है जिसके काम को देखकर लोग अपनी सोच बदलने को मजबूर हो जाएंगे। कोरोना की महामारी में जहां सरकारी अध्यापक लॉकडाउन के बहाने घर पर आराम कर रहे थे, वहीं एक शिक्षिका उन बच्चों के लिए परेशान थी, जिनकी शिक्षा बाधित हो रही थी। इस शिक्षिका ने अपने दायरे से बाहर जाकर 22 गांवों तक अपनी पहुंच बनाई और पढ़े लिखे बच्चों और महिलाओं को तैयार कर 1300 बच्चों को महंगे स्कूलों से बेहतर शिक्षा दी।

बाराबंकी जनपद की हैदरगढ़ तहसील की भिया मऊ गांव के प्राथमिक स्कूल की शिक्षिका शिवानी सिंह ने बच्चों की बाधित हो रही शिक्षा की भरपाई करने का बीड़ा उठा रखा है। शिवानी सिंह की यह शिक्षा किसी कान्वेंट स्कूल से कम नहीं है, बल्कि उससे भी बेहतर है। क्योंकि वहां सिर्फ हिंदी के साथ अंग्रेजी भाषा की ही शिक्षा दी जाती है, मगर शिवानी सिंह के स्कूल में हिन्दी के साथ-साथ दुनिया भर में काम करने वाली अंग्रेजी और स्पैनिश भाषा का ज्ञान भी दिया जाता है।