मेदांता सुपरस्पेशियालिटी हॉस्पिटल का दावा यह यूपी का पहला पीडियाट्रिक लीवर ट्रांसप्लांट है

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(www.arya-tv.com) शहर के मेदांता सुपरस्पेशियालिटी हॉस्पिटल में पहली बार 9 साल के बच्चे का लिवर ट्रांसप्लांट किया गया है। इलाहाबाद के 9 साल के तेजस को एक्यूट लीवर फेलियर के कारण ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ी। उसके बाद बच्चे की मां एकता ने लीवर देकर बच्चे की जान बचाई।

मेदांता के डॉक्टर डॉ एएस सुईन ने बताया कि बच्चे को हेपेटाइटिस ए इंफेक्शन हुआ था। इसके लीवर फेलियर हो गया। उन्होंने बताया कि 3 फीसदी मरीजों में इस तरह की दिक्कत आती है। बच्चे के दिमाग में सूजन भी आ रही थी।मरीज 3 दिन सहारा अस्पताल में भर्ती था, जहां वह बेहद गंभीर हालत में था और वहां वो मेडिकल ट्रीटमेंट को रिस्पॉन्ड नहीं कर रहा था। इसके बाद वहां से उसे मेदांता अस्पताल में रेफर कर दिया गया। मेदांता में आने के 12 घंटे के अंदर डोनर और मरीज की जांचें की गईं और उसके बाद प्रत्यारोपण का कार्य शुरू किया गया।

बहुत कठिन होता है पीडियाट्रिक लिवर ट्रांसप्लांट
एएस सोइन ने कहा पीडियाट्रिक लिवर ट्रांसप्लांट बहुत चुनौतीपूर्ण होता है। बच्चों के धमनी, पोर्टल वेन और पित्त नलिकाओं के छोटे होने के कारण यह तकनीकी रूप से कठिन है। 450 से अधिक पीडियाट्रिक लिवर ट्रांसप्लांट के हमारे अनुभव और भारत की सबसे बड़ी श्रृंखला में से एक मेदांता अस्पताल लखनऊ में यह सुविधा प्रदान करके खुश हैं।

डॉ. रोहन चौधरी ने बताया कि ऑपरेशन के बाद तेजस के इम्यूनिटी सिस्टम को कमजोर करने के लिए इम्यूनोसप्रेसेन्ट दवाएं दी गई। इससे उसका शरीर उसके अंदर अपनी मां के लिवर को रिजेक्ट न करे। हालांकि इम्युनिटी सिस्टम कमजोर होने के कारण संक्रमण का खतरा हमेशा बना रहता है।

इसमें सावधानियां बरतना जरूरी है जैसे कि उसे 1 साल तक कच्ची सब्जियां या बाहर का खाना खाने की अनुमति नहीं है। धूल में नहीं खेलना है और भीड़ भाड़ वाली जगहों से दूर रहना है। हमेशा मास्क पहनना है। इसमें समय पर दवाएं लेने और नियमित ब्लड टेस्ट कराने जैसी कुछ चीजों को छोड़कर, इनका जीवन बिल्कुल सामान्य होता है