मुक्ति गाथा कार्यक्रम में इमोशनल हुए CM:लखनऊ में मेरठ क्रांति से लेकर काकोरी कांड तक पर सुने गीत

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(www.arya-tv.com) लखनऊ में शुक्रवार देर शाम गायिका मालिनी अवस्थी का मुक्ति गाथा कार्यक्रम था। इसमें सीएम योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे। इसी बीच, मालिनी अवस्थी ने उन गीतों को गाना शुरू किया, जिनको स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गाने पर रोक थी। एक गीत स्वाधीनता संग्राम और असहयोग आंदोलन को लेकर था। गीत सुनते ही सीएम भावुक हो गए और उनकी आंखें नम हो गई।

कार्यक्रम के दौरान सीएम योगी ने कहा, ”हम सब का सौभाग्य है कि आजादी के अमृत महोत्सव के साल में हम आनंद महसूस कर रहे हैं। यह चौरी-चौरा आंदोलन का शताब्दी साल भी है।” उन्होंने आगे कहा, ”मालिनी अवस्थी ने 11 साल पहले यह संस्था बनाई। सोन चिरैया हमारे लोक परंपरा का शब्द है। यह मुक्ति गाथा उसका प्रतिनिधित्व करता हुआ यहां पर दिखाई दिया।”

सीएम ने कहा, ”संगीत साधना है। बिना भक्ति के शक्ति नहीं होती। अगर भक्ति नहीं जुड़ती, तो क्रांतिकारियों की लंबी श्रंखला भी नहीं खड़ी होती। क्रांतिकारी नहीं आते, तो गुलामी की जंजीरों को तोड़ने में भी नाकों चने चबाना पड़ता।”कार्यक्रम में रेनू,अलका,प्रीती और अंजू भारती ने भी भाग लिया

मेरठ क्रांति से लेकर काकोरी कांड तक पर गीत गाए गए
कार्यक्रम में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, सरसंघ कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले और पूर्व सरसंघ कार्यवाह भैय्या जी जोशी भी मौजूद थे। कार्यक्रम में स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियों को गीत के जरिए पेश किया गया। इनमें मंगल पांडे की मेरठ क्रांति, रानी लक्ष्मीबाई के युद्ध और काकोरी कांड से जुड़े गीत गाए गए। इसके अलावा, चौरी-चौरा कांड, चंपारण का सत्याग्रह और स्वदेशी आंदोलन के भी गीत गाए।

दत्तात्रेय बोले- मुक्ति गाथा का कार्यक्रम शहीदों की चिताओं पर हों
इस मौके पर दत्तात्रेय होसबाले ने कहा, ”भारत के विकास पथ पर हम आगे बढ़ रहे हैं। अपने जीवन के क्षण-क्षण को और रक्त के कण-कण को मातृभूमि के लिए बलिदान करने वाले महान सपूतों के कारण आज हम आजाद भारत के नागरिक हैं।”

उन्होंने कहा, ”मुक्ति गाथा का यह कार्यक्रम केवल भारत के एक शहर में ही नहीं, बल्कि हर महाविद्यालय और विश्वविद्यालय में होने चाहिए। इतिहास का यह प्रेरणा देने वाले अध्याय युवा नागरिकों के जीवन का हिस्सा बनना चाहिए। शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पर मिटने वालों का बाकी निशां होगा। यह मुक्ति गाथा का कार्यक्रम शहीदों की चिताओं पर होने चाहिए।”