मणिपुर मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

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(www.arya-tv.com) मणिपुर हिंसा का मुद्दा सड़क से सोशल मीडिया और संसद से सुप्रीम कोर्ट तक चर्चा में है। मणिपुर का झकझोर कर रख देने वाला वो शर्मनाक वीडियो जब सामने आया तो सोशल मीडिया के जरिए जमकर इसकी आलोचना की गई। मामले ने तूल पकड़ा तो इस शर्मनाक कांड के दो महीने बाद पुलिस ने कार्रवाई की और गिरफ्तारियों का दौर शुरू हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने इस वीडियो के बाद घटना को निंदनीय बताते हुए स्वतः संज्ञान लिया तो विपक्षी दलों ने सही कदम न उठाने को लेकर केंद्र और राज्य सरकार को जमकर घेरा।

सुप्रीम कोर्ट के स्वतः संज्ञान पर 27 जुलाई सुनवाई हुई तो केंद्र सरकार ने बताया कि अब इस मामले की पड़ताल की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंप दी गई है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने बताया कि इस मामले की जांच सीबीआई को ट्रांसफर करने की मणिपुर सरकार की मांग को केंद्र सरकार ने एप्रूव कर दिया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट अगली सुनवाई आज यानी 28 जुलाई को करेगा।

एक तरफ 27 जुलाई को जहां सुप्रीम कोर्ट मणिपुर हिंसा को लेकर सुनवाई कर रहा है, तो वहीं विपक्ष काले कपड़ों में संसद के भीतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस मुद्दे पर बोलने की मांग को लेकर अड़ा रहा। संसद में इसको लेकर मचे गतिरोध के बाद विपक्ष ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया है। इसपर अभी चर्चा होना बाकी है कि विपक्षी दलों के सांसद एक प्रतिनिधिमंडल बना कर मणिपुर का दौरा करने जाने की तैयारी कर रहे हैं। ये प्रतिनिधिमंडल 29 और 30 जुलाई को मणिपुर जाएगा।

गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय के सचिव अजय भल्ला ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने वाले मामले में मणिपुर सरकार से चर्चा के बाद इस मामले की आगे की पड़ताल की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंपी गई है। उस कांड का वीडियो वायरल होने के बाद से अब तक मणिपुर पुलिस ने 7 लोगों की गिरफ्तारी की है। हालांकि गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट से निवेदन किया है कि वो इस मामले की सुनवाई मणिपुर से बाहर कराए जाने के निर्देश दे। साथ ही ये निर्देश भी दे कि सीबीआई चार्जशीट दायर होने के 6 महीनों के भीतर जांच पूरी करे।

गृह मंत्रालय ने बताया कि 3 मई को मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद से ही केंद्र सरकार ने अभी CAPF की 124 अतिरिक्त कंपनियां और सेना के 185 कॉलम्स की तैनाती स्थानीय पुलिस के साथ मणिपुर में की गई है। हिंसा के मद्देनजर एक कमांड भी बनाई गई है, जिसमें सभी सुरक्षा बलों और नागरिक प्रशासन के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है।