पुलिस की बंदूकों के साये में खेती करते मैतेई किसान

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(www.arya-tv.com) मणिपुर हिंसा पर राजनीति से अलग सवाल है कि वहां हालात क्या हैं। इस सवाल का जवाब जानने के लिए  ने चुराचांदपुर से लेकर हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित बिष्णुपुरा इलाके का दौरा किया। चुराचांदपुर में ज्यादातर युवाओं ने हाथों में हथियार उठा लिए हैं और बिष्णुपुरा इलाके में हथियारों की निगरानी में खेती हो रही है।

मणिपुर की राजधानी इंफाल से करीब 45 किलोमीटर दूर बिष्णुपुरा जिला है, यहां कभी भी मैतेई और कुकी दोनों गुटों के बीच आमने-सामने फायरिंग शुरू हो जाती है। यहां के लोग हर पल खौफ में जीने को मजबूर हैं। ऐसे हालात में यहां मैतेई समुदाय के किसान किस तरह अपने खेतों में काम कर रहे हैं, इसकी ग्राउंड रिपोर्ट आपको जरूर जाननी चाहिए।

पहाड़ियों पर विरोधी कुकी समुदाय का कब्जा

मणिपुर का बिष्णुपुरा जिला दो तरफ से पहाड़ियों से घिरा है, यहां की ज्यादातर आबादी मैतेई समुदाय से है जो खेती करती है। 3 मई को हिंसा के बाद से यहां के किसानों के लिए खेती करना जान को जोखिम में डालने जैसा बन चुका है।पहाड़ियों पर विरोधी कुकी समुदाय का कब्जा है, जिन्होंने छिपकर ऊपर बंकर बना लिए हैं। वो कभी भी खेतों में काम कर रहे किसानों की तरफ अपनी बंदूकों का मुंह खोल देते हैं और आमने-सामने फायरिंग शुरू हो जाती है।

सिक्योरिटी के बीच खेती कर रहे किसान

हमारे संवाददाता जितेंद्र शर्मा ने यहां पहुंचने के बाद खेतों के बीच जो मंजर देखा, वो काफी हैरान करने वाला था। यहां संगीनों के साये में मणिपुर पुलिस और इंडियन रिजर्व बटालियन की सिक्योरिटी के बीच किसान खेती कर रहे हैं. हिंसा के बाद फसलों को नुकसान हो रहा था तो यहां के किसानों ने मणिपुर पुलिस से मदद मांगी। इसके बाद खेतों के बीच स्टेट पुलिस और IRB ने पोस्ट बनाकर सुरक्षा और निगरानी शुरू की गई।

अलग-अलग शिफ्ट्स में 24 घंटे सिक्योरिटी

पिछले 2 महीने से खेतों में पुलिस पहरा दे रही है। अलग-अलग शिफ्ट्स में 24 घंटे यहां सिक्योरिटी होती है। सुरक्षा में किसान-मजदूर खेती करने आते हैं और लौट जाते हैं। बिष्णुपुरा के ज्यादातर उन इलाकों में ऐसे ही हालात हैं, जहां खेत पहाड़ों से घिरे हैं और पहाड़ों पर विरोधी गुट का कंट्रोल है।