कचनार के फूलों से बने गुलाल से होली खेलेंगे श्री रामलला, जानें क्या है इसमें खास

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(www.arya-tv.com) श्री रामलला अपनी जन्मभूमि पर करीब 500 वर्षों के बाद भव्य मंदिर में विराजमान हुए हैं, इसलिए इस बार रामलला की होली खास होने वाली है. रामलला इस बार की होली कचनार के फूलों से बने हर्बल गुलाल से खेलेंगे. इस खास गुलाल को राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान लखनऊ ने तैयार किया है. रामलला कचनार के फूलों से बने ही गुलाल से होली इसलिए भी खेलेंगे क्योंकि कचनार के वृक्ष को राम राज्य के दौरान राजकीय वृक्ष माना जाता था. इस खास गुलाल को राम मंदिर ट्रस्ट के अलावा काशी विश्वनाथ ट्रस्ट वाराणसी वृंदावन धाम मंदिर और प्रयागराज की लेटे हनुमान मंदिर को भी भेजा गया है.

राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान लखनऊ ने कचनार के फूलों से बने विशेष गुलाल को रामलला के लिए भेजा है. कचनार के फूलों के गुलाल के पैकेट श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव को भेजा गया है. इसी विशेष गुलाल से रामलला इस बार होली खेलेंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ से उनके विशेष सलाहकार अवनीश अवस्थी ने इस गुलाल के साथ एक पत्र भी भेजा है. जिसमें लिखा हुआ है कि कचनार वृक्ष को राम राज्य के दौरान राजकीय वृक्ष माना जाता था, इसको अयोध्या के राज्य ध्वज में भी स्थान दिया गया था. कचनार वृक्ष को आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति की सुगंधित औषधि के रूप में उपयोग किया जाता रहा है. इस वृक्ष को एंटीबैक्टीरियल एंटी फंगस भी कहा जाता है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खासतौर पर श्री राम जन्मभूमि मंदिर काशी विश्वनाथ धाम वृंदावन मंदिर मथुरा और प्रयागराज के लेटे हनुमान मंदिर में होली के समय इस खास गुलाल कोई अर्पण करने के निर्देश दिए हैं. चंपत राय ( महासचिव श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ) ने कहा कि मेरे पास कचनार के फूलों का गुलाल राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान लखनऊ से आया है.

भगवान को समर्पित कर देंगे. रासायनिक, शरीर को कष्ट नुकसान करने वाला गुलाल ना उपयोग हो इसकी चिंता लखनऊ के बोटैनिकल इंस्टीट्यूट ने की है. हम उनके प्रति आभार व्यक्त करते हैं. सबसे कहेंगे प्राकृतिक फूलों का रंग इस्तेमाल और गुलाल इस्तेमाल करें. रामलला के लिए कचनार के फूलों के गुलाल मुझे प्राप्त हुआ है. भगवान को समर्पित कर देंगे.