तांत्रिक के कहने पर बच्ची का कलेजा निकाल कर खाने वाले दंपति समेत चार को उम्र कैद, घटना ऐसी कि रूह कांप जाएगी

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(www.arya-tv.com) उत्तर प्रदेश के कानपुर में बच्ची का कलेजा निकाल कर खाने वाले दंपती को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। उनके साथ इस घटना में सहयोग करने वाले दो आरोपियों को भी उम्र कैद की सजा दी गई है।

तीन साल पहले कानपुर देहात में ऐसी घटना घटी थी, जो लोगों की रूह कंपा देती है। एक सात साल की बच्ची का दो लोगों ने अपहरण किया। उसके साथ गैंगरेप किया। पेट फाड़कर कलेजा निकाल लिया।

दंपती ने बच्ची के उस कलेजे को खाया था। यह सब एक तांत्रिक के कहने पर दोनों ने किया था। दरअसल, शादी के 19 साल बाद भी बच्चा नहीं होने के बाद दंपती एक तांत्रिक के पास गया।

तांत्रिक ने उसे बच्ची का कलेजा खाने के बाद संतान प्राप्ति की बात कही। तांत्रिक की बातों में आकर दंपती ने इस वीभत्स कांड को अंजाम दे दिया था। कोर्ट में मामला चला इसमें चारों आरोपी दोषी करार दिए गए। चारों को कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई है।

क्या है मामला?

घाटमपुर के एक गांव में 14 नवंबर 2020 शाम घर के बाहर खेल रही सात साल की बच्ची गायब हो गई। परिवार के लोगों ने रात भर बच्ची को खोजा, लेकिन वह नहीं मिली। दूसरे दिन सुबह उसकी क्षत- विक्षत लाश गांव के बाहर बरामद की गई।

बच्ची के पिता ने इस मामले में गांव के ही अंकुल, वंशलाल, कमलराम, बाबूराम और सुरेश जमादार के खिलाफ केस दर्ज कराया। बच्ची के पिता का आरोप था कि तंत्र- मंत्र के चक्कर में इन लोगों ने बेटी की हत्या कर दी।

पुलिस जांच में खुला मामला

पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। इसमें भयावह हत्याकांड का खुलासा हुआ। पुलिस को पता चला कि इस घटना के पीछे एक निशंतान दंपती की भूमिका है। पुलिस ने सुराग मिलने के बाद उस पर अपनी जांच की गति को बढ़ाया।

कड़ियों को जोड़ना शुरू किया। जांच के क्रम में पुलिस ने बच्ची के पिता की ओर से दर्ज कराए गए केस में नामजद अभियुक्तों को आरोपी सूची से बाहर कर दिया। गांव के ही परशुराम और सुनैना को मामले में धर दबोचा।

पुलिस को जांच के दौरान पता चला कि परशुराम और सुनैना शादी के 19 साल बाद भी निशंतान हैं। संतान प्राप्ति के लिए वे तांत्रिक के पास गए थे। तांत्रिक ने उन्हें बच्चे का कलेजा खाने की सलाह दी थी। इसके बाद दोनों ने साजिश रचनी शुरू की।

परशुराम ने भतीजे को दिया था लालच

तांत्रिक के कहने के बाद दंपती ने निर्णय लिया कि वह किसी बच्चे का कलेजा खाएंगे। इसके लिए परशुराम ने अपने भतीजे अंकुल और उसके साथी वीरन को मोटी रकम का लालच दिया।

उसे किसी बच्चे का कलेजा लाने का काम सौंप दिया। अंकुल और वीरन ने गांव में घर के बाहर खेल रही बच्ची का अपहरण किया। उसे गांव के बाहर खेत में ले गए।

अंकुल और वीरन ने बच्ची को मारने से पहले उसके साथ गैंगरेप किया। इसके बाद सात वर्षीय बच्ची क हत्या कर दी। दोनों ने मिलकर बच्ची का पेट फाड़ा। उसका कलेजा निकाला। बच्ची के कलेजे को सुनैना और परशुराम को खाने के लिए दिया।

टेस्ट में खुला मामला

पुलिस की पकड़ में आने के बाद अंकुल और वीरन ने बचने की कोशिश की। पुलिस ने दोनों का बेंजाडीन टेस्ट कराया। इसमें सच साामने आ गया। दोनों ने बच्ची का रेप करने के बाद हत्या कर कलेजा निकाला था।

एडीजीसी प्रदीप पांडेय, राम रक्षित शर्मा और अजय कुमार त्रिपाठी ने सजा के बिंदु पर सुनवाई में कहा कि मासूम की हत्या के पीछे तंत्र- मंत्र के साथ पेट फाड़कर अंग खाने जैसे तथ्य सामने आए हैं। दोषी दंपती ने उसके कलेजे की पूजा करके खाया। यह जघन्यतम अपराध है।

उन्होंने दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग की। कोर्ट ने चारों दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। पति- पत्नी पर 20- 20 हजार और अन्य दोनों पर 45- 45 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।

बच्ची के माता- पिता ने जताया संतोष

बेटी के साथ हैवानियत 3 साल बीतने के बाद पहली बार माता- पिता की आंखों में संतोष का भाव दिखा। कोर्ट का फैसला सुनते ही बच्ची के माता- पिता की आंखें छलक पड़ीं। मृतक बच्ची के पिता ने कहा कि अगर दोषियों को फांसी की सजा होती तो कलेजे को ठंडक मिल जाती।

शनिवार को फैसला आते ही घाटमपुर में इसकी चर्चा शुरू हो गई। वहीं, मासूम के माता- पिता ने कहा कि इन लोगों ने मेरी नन्ही सी बच्ची को बड़ी बेरहमी से मारा था। अब हम घी के दीये जलाएंगे।

पिता का कहना है कि हमारी किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी। इन लोगों ने तंत्र- मंत्र के चक्कर में मेरी फूल सी बेटी की हत्या कर दी। उन लोगों ने मेरी बेटी के पेट, सीना और सिर को फाड़ दिया था। ऐसे नरपिशाचों को तो फांसी मिलनी चाहिए थी।

37 दिन में दायर हुई थी चार्जशीट

घाटमपुर पुलिस ने इस वीभत्स घटना में जबर्दस्त सक्रियता दिखाई। महज 37 दिन में चार्जशीट दाखिल कर दिया था। वह भी तब जब पीड़ित परिवार के एफआईआर में दर्ज कराए गए नाम गलत थे।

पुलिस ने जांच के क्रम में आरोपित बनाए गए चार नामजदों को क्लीन चिट दे दी। उनकी जगह असली गुनाहगारों को पकड़ा। नए नाम को चार्जशीट में दाखिल कर घटना का खुलासा किया गया।

14 नवंबर 2020 को बच्ची के अपहरण और हत्याकांड के बाद पीड़ित पिता की शिकायत पर गांव के ही चार लोगों पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया था। हालांकि, बाद में उन्हें क्लीन चिट दे दी गई।

दोषियों तक पुलिस पहुंचने में कामयाब हुई। जेल भेजे जाने के बाद आरोपियों ने कोई ठोस साक्षी न होने की बात करते हुए जमानत की अपील भी की। लेकिन, कोर्ट ने इस मामले में उन्हें जमानत नहीं दी।

मास्टरमाइंड का कोई सुराग नहीं

सात वर्षीय मासूम की वीभत्स हत्याकांड में आरोपियों तक तो पुलिस पहुंच गई, लेकिन मास्टरमाइंड तांत्रिक की पहचान नहीं हो सकी। पुलिस उस तांत्रिक तक नहीं पहुंच पाई।

गांव में भी चर्चा चलती रही कि आखिर किस तांत्रिक ने परशुराम और सुनैना को संतान के लिए किसी बच्चे का कलेजा खाने के लिए उकसाया था। पीड़ित परिवार का कहना है कि गांव में भद्रकाली का प्रसिद्ध मंदिर है।

वहां पर बड़ी संख्या में तांत्रिकों का आना- जाना रहता है। गांव के लोगों ने भी बताया कि आरोपित सुनैना अंधविश्वासी है। उसी ने मासूम की हत्या करा दी।

इस मामले में कानपुर देहात के सरकारी वकील प्रदीप पांडेय ने कहा कि मासूम की हत्या कर उसका कलेजा निकाल कर खाना बेहद क्रूरतम अपराध है। उसकी हत्या के पीछे तंत्र- मंत्र बड़ा कारण था।

इसीलिए पैरों में महावर लगाई गई थी। हमने कोर्ट से इसीलिए केस के रेयरेस्ट ऑफ द ईयर होने की बात कह कर फांसी की मांग की थी, लेकिन कोर्ट का फैसला उम्र कैद का आया। हम इस फैसले का अध्ययन करेंगे और यदि कुछ बिंदु निकलते हैं तो फांसी के लिए हाई कोर्ट में भी अपील करेंगे।