जिस तरह सूर्य चहु दिशा को प्रकाशमान करता है, ठीक उसी प्रकार साहित्यकार कन्हैयालाल ने अपने महाकाव्य ‘ विकर्ण महान ‘ की रचना कर साहित्य जगत को प्रकाशित करने का काम किया है। यह बात आज वरेण्य अतिथि प्रो. डॉ उषा सिन्हा ने नवसृजन साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था के तत्वावधान में रवींद्रालय में चल रहे लखनऊ पुस्तक मेला मे वरिष्ठ साहित्यकार / लेखक कन्हैयालाल के सद्य: प्रकाशित महाकाव्य ‘ विकर्ण महान ‘ के लोकार्पण समारोह में कही।
इस अवसर पर डॉ उषा सिन्हा, डॉ सुल्तान शाकिर हाशमी, आचार्य ओम नीरव, अशोक पांडेय अशोक और डॉ सत्यदेव प्रसाद द्विवेदी ने कन्हैयालाल के सद्य: प्रकाशित महाकाव्य ‘ विकर्ण महान ‘ का लोकार्पण किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ योगेश ने किया।
डॉ सुल्तान शाकिर हाशमी ने कहा कि कन्हैया लाल का महाकाव्य ‘ विकर्ण महान ‘ एक श्रेष्ठ महाकाव्य है, इसकी भाषा सरल और सुबोध है। विशिष्ट अतिथि आचार्य ओम नीरव ने कहा कि ‘ विकर्ण महान ‘ महाकाव्य की सबसे बड़ी विशेषता है कि इसे साधारण व्यक्ति भी बड़ी सुगमता से समझ सकता है।अशोक पांडेय अशोक ने कहा कि कन्हैया लाल एक साधनाशील कवि हैं, और इनका महाकाव्य ‘ विकर्ण महान ‘ अपने आप में गागर में सागर है।
मुख्य वक्ता डॉ सत्यदेव प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि कन्हैया लाल सांस्कृतिक बोध मे उर्जावान कवि हैं। आपका भारतीय दर्शन, अध्यात्म, सामाजिक सदभाव, मानवीय जीवन मूल्यों पर अटूट विश्वास एवं आस्था आपकी कृतियों मे वर्णित है। कन्हैया लाल की कृति ‘ विकर्ण महान ‘ महाकाव्य सरस, सरल शैली में सर्वग्राह्य है। लोकार्पण अवसर पर महाकाव्य ‘ विकर्ण महान ‘ के लेखक कन्हैया लाल ने बताया कि इस महाकाव्य में तेेेरह सर्ग और 324 छंद निहित हैं, जो दुर्योधन के छोटे भाई बालक विकर्ण के व्यक्तित्व पर केन्द्रित है। अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में प्रो. डॉ. वी.जी. गोस्वामी ने कृति ‘ विकर्ण महान ‘ को मील का पत्थर बताया। कार्यक्रम का संचालन डॉ योगेश ने किया।