जापान ने चांद पर भेजा खिलौने वाला रोवर, गेंद की तरह दिखता है रोबोट, दो घंटे जिंदा रहकर करेगा अनोखा कारनामा

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(www.arya-tv.com) भारत के चंद्रयान तीन की कामयाबी के बाद अब जापानी स्पेस एजेंसी JAXA चांद को फतह करने की तैयारी में है। 2024 की शुरुआत में जाक्सा चांद पर पहुंचने की योजना में है। इस मिशन का एक महत्वपूर्ण घटक एक अजीब तरह का दिखने वाला रोबोट है, जो एक टेनिस बॉल जैसा लगता है।

हालांकि कुछ इसे स्टार वार्स फिल्म का रोबोट बता रहे हैं। हाल ही में जाक्सा ने स्लिम मिशन लॉन्च किया है। इस मिशन के जरिए यह अजीबोगरीब रोबोट भी भेजा गया है, जिसका नाम लूनर एक्सकर्सन व्हीकल 2 है।

लेवल-2 को 2 मीटर की ऊंचाई से चंद्रमा पर लॉन्च किया जाएगा, जिसके बाद से इसका मिशन शुरू होगा। इसकी विशेषता है कि इसके दोनों हिस्से अलग-अलग चल सकते हैं। चांद की मिट्टी के जरिए यह चलेगा। बच्चों के खिलौने के कॉन्सेप्ट से यह आइडिया आया है, जिसे अब अंतरिक्ष में भेज दिया गया है।

हालांकि यह कोई वैज्ञानिक प्रयोग नहीं है, बल्कि एक तकनीकी प्रदर्शन है। लेवल-2 की बैटरियां चंद्रमा पर सिर्फ दो घंटे काम करेंगी। लेकिन इसका डिजाइन और आकार भविष्य में रोवर के लिए महत्वपूर्ण होगा।

खिलौने वाली कंपनियों ने मिलकर बनाया

जाक्सा में रोबोट के वरिष्ठ शोधकर्ता और डेवलपर हिरानो दाइची ने कहा, ‘हमने बच्चों के खिलौनों के लिए मजबूत और सुरक्षित डिजाइन तकनीक को अपनाया। इसके कारण वाहन में उपयोग किए जाने वाले घटकों की संख्या यथासंभव कम हो गई और इसकी विश्वसनीयता बढ़ गई।

‘ इस रोबोट का निर्माण जापानी अंतरिक्ष एजेंसी, दोशीशा यूनिवर्सिटी और खिलौना बनाने बाली कंपनी TOMY ने संयुक्त रूप से किया है। इसके अलावा सोनी कंपनी ने रोबोट के गोल पैरों के बीच मौजूद कंट्रोल बोर्ड और एक कैमरा विकसित किया। इसमें एक कैमरा भी लगा है जो तस्वीरें धरती पर भेजेगा।

चांद पर पहुंचाना होगा मिशन

लेवल-2 चंद्रमा पर अपना मिशन शुरू करे उससे पहले जाक्सा को स्लिम मिशन को चांद तक सफलतापूर्वक पहुंचाना होगा। यह काम बेहद जटिल है और इसके लिए बेहद निपुणता की जरूरत होती है। हाल के वर्षों में कई देशों ने चांद से जुड़े मिशन चलाए, लेकिन उन्हें सफलता हासिल न हुई।

उदारहण के लिए अगस्त में रूस का लूना-25 मिशन फेल हो गया। उससे पहले इजरायल का मिशन भी फेल हो चुका है। चंद्रयान-3 की कामयाबी से पहले चंद्रयान-2 भी फेल हो चुका है। हालांकि जापानी वैज्ञानिकों को आशा है कि वह कामयाब होंगे।