काशी के जूडो मास्टर ने 58 सेकंड में जीता गेम

# ## Game

(www.arya-tv.com) वाराणसी के जूडो खिलाड़ी विजय यादव ने बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स के क्वार्टर फाइनल में ब्रांज यानी कांस्य मेडल जीत लिया। ये गेम उन्होंने सिर्फ 58 सेकंड में अपने नाम किया। इस कामयाबी पर वाराणसी के उनके गांव सुलेमापुर (महुअरियां) में जश्न का माहौल है। पिता दशरथ यादव कहते हैं, “बचपन से शरारती था। खूब हाथ-पैर हवा में मारता था। आज उन्हीं खुराफातों ने उसे कॉमनवेल्थ गेम्स में ब्रांज मेडल दिला दिया। इतनी कम उम्र में नाम रोशन किया है, गांव में हमारा सीना चौड़ा हो गया।”

पिता अपने पुराने दिनों को याद कर भावुक भी हो जाते हैं। वे कहते हैं, शुरुआत बहुत कठिन थी। वो (विजय) कभी पैदल, साइकिल से आता-जाता था। मेरे बेटे ने बहुत मेहनत की है। उसने 2 एशियन और 4 नेशनल में स्वर्ण पदक जीता है। वह करीब 2015 से नेशनल में स्वर्ण पदक जीत रहा है। मां चिंता देवी ने कहा, बहुत खुशी हो रही है। वे ऐसे ही बहुत आगे बढ़े और देश का और हमारा नाम रोशन करे।”

“2 पैंट पहनकर जाता था स्कूल”
विजय के पिता दशरथ हंसते हुए कहते हैं,”विजय पढ़ने में कमजोर था। बचपन से ही हाथ-पैर चलाना खूब पसंद था। वो इतना शरारती था कि एक पैंट की जगह दो पैंट पहनकर स्कूल जाता था। उसे लगता था कि मास्टर डंडा मारेंगे, तो कम चोट लगेगी।” मां चिंता देवी ने कहा,”हमार बेटा अउर आगे बढ़ें। गांव-देश के लोग का नाम करें। आशीर्वाद दे रहे हैं कि वह ऐसे ही कामयाबी के झंडे गाड़े।”

भाई बोला- चाचा के साथ कुश्ती लड़ता था
विजय के भाई विकास अपने भाई की कामयाबी पर खुश थे। वो बस ड्राइवर हैं। विकास कहते हैं,”बचपन में विजय चाचा गोपाल के साथ गांव के व्यायामशाला में कुश्ती लड़ता था।” जॉब तलाश रहे दूसरे भाई अजय कहते हैं,”हमारा पूरा परिवार गरीबी से जूझ रहा था। हमारे पास एक गाय है, 10 बिस्वा खेती की जमीन है। अभी दो बहनों की शादी भी करनी है। अब जीवन सुधरने की उम्मीद जगी है।”

गांव में ढोल-नगाड़ों की थाप पर लोग नाच रहे
विजय की जीत के बाद गांव के लोग ढोल-नगाड़ों और डीजे पर राष्ट्रीय ध्वज लगाकर नाच-गा रहे हैं। दोस्तों में मिठाइयां बंट रहीं हैं। परिवार के लोगों को बधाई दी जा रही है।