संसद में मल्लिकार्जुन खरगे ने कर डाली अपने ही डिप्टी सीएम DK की खुलेआम आलोचना, बोले- तुम सब मिले हुए हो!

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(www.arya-tv.com) कर्नाटक में जाति जनगणना की रिपोर्ट का मसला सोमवार को संसद में गूंजा। रिपोर्ट जारी करने को लेकर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार की राय जुदा बताई जा रही है। सोमवार को बीजेपी सदस्यों ने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के मतभेद पर राज्यसभा में कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे को घेरना चाहा।

जम्‍मू और कश्‍मीर से जुड़े दो बिलों पर चर्चा के दौरान, बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी ने डीके का नाम लेकर खरगे की ओर सवाल उछाला। मोदी ने पूछा, ‘खरगे जी हमें यह बताएं कि आपकी सरकार जाति सर्वे की रिपोर्ट कब सार्वजनिक करेगी।

डिप्टी मुख्यमंत्री ने तो रिपोर्ट पब्लिक करने के लिए एक याचिका साइन कर रखी है।’ इसपर खरगे ने कहा शिवकुमार और बीजेपी, दोनों ही जाति जनगणना रिपोर्ट के खिलाफ हैं। खरगे ने कहा, ‘

वे (डीके शिवकुमार) भी विरोध कर रहे हैं और आप (बीजेपी) भी।’ खरगे ने अपनी ही पार्टी के डिप्‍टी सीएम की खुलकर आलोचना करते हुए कहा, ‘दोनों इस मामले पर एक हो। यह जाति का चरित्र है। ऊंची जाति के लोग आपस में एक हो जाएंगे।’

जाति जनगणना रिपोर्ट पर सिद्धारमैया vs डीके?

सीएम सिद्धारमैया जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट जारी करना चाहते हैं। उन्‍होंने पिछले दिनों कहा था, ‘केवल अनुमानों के आधार पर विरोध न करें। विरोध करने वाले लोग इसके विषय में नहीं जानते।’ जाति जनगणना को लेकर कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने पिछले महीने कहा था

कि विभिन्न समुदायों की वैज्ञानिक दृष्टिकोण की मांग पर विचार किया जाना चाहिए शिवकुमार ने इस संबंध में सौंपे गए ज्ञापन पर अपने हस्ताक्षर भी किए थे कि वर्तमान जाति जनगणना रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।

शिवकुमार ने कहा था, ‘कई समुदाय आनुपातिक आरक्षण के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अनुसूचित जाति पंचमसालिस वीरशैव और वोक्कालिगा सभी लड़ रहे हैं। ये मांगें पार्टी लाइनों से हटकर हैं। कुछ समुदायों ने कहा है कि जनगणना से पहले उनसे संपर्क नहीं किया गया है

और इसलिए वे वैज्ञानिक जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं।’ इस बारे में सीएम को भेजी गई याचिका पर हस्ताक्षर के बारे में सवाल पर शिवकुमार ने कहा था, ‘विभिन्न समुदायों के राजनेता इस मुद्दे पर एकजुट हो रहे हैं।

इसी तरह मुझे समुदाय की टोपी पहननी होगी और समुदाय द्वारा आयोजित अराजनीतिक बैठकों में भाग लेना होगा। क्या यह गलत है?’वोक्कालिगा और लिंगायत समुदायों ने जाति रिपोर्ट का खुलकर विरोध किया है। इस रिपोर्ट को खारिज करने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू हो गया है।