भू-माफ‍िया की दबंगई और प्रशासन की लापरवाही, 22 एकड़ तालाब पर कब्जा

Gorakhpur Zone UP

गोरखपुर।(www.arya-tv.com) प्रशासन की लापरवाही और भू-माफ‍िया की दबंगई का शासन की वजह से 22 एकड़ का तालाब बना एक घनी बस्ती बाया जाता है कि यह बीते बीस साल में यहां धीरे—धीरे करके पूरा मोहल्ला बन गया। कुछ लोग यह मानने के लिए तैयार नहीं है कि यहां तालाब भी हुआ करता था। हाला की प्रशासन की बन्द आंखे अब 20 साल बाद खुली है और कुछ अवैध निर्माण को ध्वस्त भी कराया गया है।

ताल की इस जमीन पर दर्जनों पक्के मकान बना दिए गए। इनमें दो से अधिक जमीनों का जीडीए (गोरखपुर विकास प्राधिकरण) ने नक्शा भी पास कर दिया। हद तो यह कि ताल की जमीन पर नगर निगम ने सड़क का निर्माण करवा दिया। भूमाफिया ने ताल के बीच हिस्से वाली जमीन पर गोदाम बनाकर किराए पर दे दिया। जमीन पर कब्जा बना रहे इसके लिए करीब सौ से अधिक रोङ्क्षहग्या परिवारों को लाकर बसा दिया गया। प्रशासन ने सख्ती की तो अब मामले की पोल खुलने लगी है।

राजस्व अभिलेख में 15 एकड़ जमीन ताल सुमेर सागर व सात एकड़ जमीन नजूल भूमि के रूप में दर्ज है। तत्कालीन जिलाधिकारी डा. हरिओम ने अप्रैल 2006 में चार सदस्यीय समिति का गठन कर आख्या प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

समिति में पुलिस अधीक्षक (नगर) दिलीप कुमार, जीडीए सचिव विजय बहादुर, अपर जिलाधिकारी (नगर) पीके अग्रवाल व उपजिलाधिकारी (सदर) रमेश चंद्र शामिल थे। समिति ने छह अप्रैल 2006 को स्थलीय निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट दी थी, जिसमें कुछ व्यक्तियों द्वारा (व्यक्तिगत स्वामित्व की भूमि पर) निर्माण का जिक्र किया गया था। समिति की रिपोर्ट पर तत्कालीन जिलाधिकारी डा. हरिओम ने छह बिंदुओं पर आदेश जारी किया था।

गाटा संख्या 1056 जो पूर्ण रूप से नजूल भूमि है तथा गाटा संख्या 736 का रकबा 0.781 हेक्टेयर नजूल है, पर यदि अवैध कब्जा है तो उसे हटवाया जाए। गाटा संख्या 1002, 736, 737, 839 जो निजी खातेदारों के नाम से दर्ज है किंतु यदि राजस्व अभिलेखों में यह भूमि सागर व तालाब के रूप में दर्ज है तो ङ्क्षहचलाल तिवारी बनाम कमला देवी के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुक्रम में उसे अवैध मानते हुए हटवाया जाए।

कुछ ऐसे कब्जेदार जो अविवादित भूखंड पर रजिस्ट्री आदि के माध्यम से काबिज हैं किंतु उनके द्वारा अपने भवन का मानचित्र जीडीए से पास नहीं कराया गया है तो जीडीए ऐसे निजी कब्जेदारों के संबंध में नक्शा आदि पास करने की कार्यवाही करें। यदि ऐसे नहीं होता है तो उसे भी हटाना होगा।गाटा संख्या 1056 रकबा 0.081 हेक्टेयर पर डूडा द्वारा निर्मित धोबीघाट सार्वजनिक उपयोग के लिए निर्मित है, यदि यह सार्वजनिक हित में प्रयोग हो रहा है तो उसे अतिक्रमण नहीं माना जाएगा।

नगर आयुक्त यह स्पष्ट करें कि किस आधार पर उनके द्वारा तीन जनवरी 2006 को यह कहा गया है कि सुमेर सागर क्षेत्र स्थित नजूल की भूमि से नगर निगम का कोई वास्ता सरोकार नहीं है। किस कारण से नगर आयुक्त ने इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की है।