गर्भ में भी बच्चे तक कैसे पहुंच रहा है प्रदूषण

Health /Sanitation

(AryaTv-Lucknow) Mithlesh

बच्चे बाहर खेलें-कूदें, खिलखिलाएं और खुल कर सांस लें तो माना जाता है कि इससे उनका शारीरिक विकास होगा. लेकिन अब यही खुल कर सांस लेना बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है ।

हवा में बढ़ता प्रदूषण उनमें कई तरह की बीमारियां पैदा कर रहा है और उनके शारीरिक और मानसिक विकास में रुकावट डाल रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (की हालिया रिपोर्ट बच्चों पर प्रदूषण के गंभीर प्रभाव को दिखाती है. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016 में पांच साल से कम उम्र के एक लाख से ज़्यादा  बच्चों की प्रदूषण के कारण मौत हो गई एयर पॉल्यूशन एंड चाइल्ड हेल्थ प्रेसक्राइबिंग क्लीन एयर नाम की इस रिपोर्ट में प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण बीमारियों के बढ़ते बोझ को लेकर सावधान किया गया है

रिपोर्ट में बताया गया है कि बाहर की हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 के कारण पांच साल की उम्र के बच्चों की सबसे ज़्यादा मौतें भारत में हुई हैं  पार्टिकुलेट मैटर धूल और गंदगी के सूक्ष्म कण होते हैं जो सांस के ज़रिए शरीर के अंदर जाते हैं

बच्चों के लिए जानलेवा प्रदूषण

इसके कारण कई देशो के बच्चों की जाने गयी है इन बच्चों में लड़कियों की संख्या ज़्यादा है  कुल बच्चों में 32,889 लड़कियां और 28,097 लड़के शामिल हैं प्रदूषण से सिर्फ़ पैदा हो चुके बच्चे ही नहीं बल्कि गर्भ में मौजूद बच्चों पर भी बुरा असर पड़ता है   रिपोर्ट कहती है  कि प्रदूषण के कारण समय से पहले डिलीवरी, जन्म से ही शारीरिक या मानसिक दोष, कम वज़न और मृत्यु तक हो सकती है  ऐसे तो प्रदूषण का सभी पर बुरा असर माना जाता है, लेकिन रिपोर्ट की मानें तो बच्चे इससे सबसे ज़्यादा प्रभावित होते हैं   प्रदूषण बच्चों के लिए कैसे जानलेवा साबित होता है, गर्भ में मौजूद बच्चे को यह कैसे बीमार कर सकता है

नवजात और बड़े बच्चे

डॉक्टर्स का मानना है कि प्रदूषण का नवजात और थोड़े बड़े बच्चों (जो बाहर खेलने जा सकते हैं) पर अलग-अलग तरह से असर पड़ता है नवजात बच्चा बीमारियों से लड़ने में कमज़ोर होता है और बड़े होने के साथ उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती जाती है नवजात बच्चों पर प्राइमस हॉस्पिटल में फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों के विशेषज्ञ डॉक्टर एसके छाबड़ा कहते हैं, ‘नवजात बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है  उनके फेफड़ों का विकास ठीक से नहीं हुआ होता है

ऐसे में प्रदूषण उसे जल्दी प्रभावित करता है  उसे खांसी, जुकाम जैसी एलर्जी हो सकती हैं   यहां तक कि अस्थमा और सांस लेने में दिक्कत बढ़ जाती है   यही बीमारियां बढ़कर मौत का कारण बन सकती हैं इस दौरान बच्चे का मानसिक विकास भी हो रहा होता है और प्रदूषण के कण इसमें बाधा बनते हैं

वायु प्रदूषण वातावरण के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है   बाहरी और घरेलू हवा में मौजूद प्रदूषण के महीन कणों के करण विश्व में हर साल करीब 70 लाख समयपूर्व मौतें होती हैं