पंचायत चुनाव में 75 साल की उम्र में 92 बार हार चुके, फिर से चुनावी मैदान में

National

(www.arya-tv.com) विभिन्न पदों पर 92 बार चुनाव हारने के बाद भी आगरा के हस्नूराम आंबेडकरी का हौसला बरकरार है। इसी हौसले के साथ वह एक बार फिर चुनाव मैदान में उतरे हैं। फटे हुए जूते, दुबला-पतला बदन, खद्दर का कुर्ता और मन में जीत की आस लिए 75 साल के हस्नूराम आंबेडकरी ने रविवार को 93वीं बार पर्चा भरा। इस बार वह वार्ड 30 से जिला पंचायत सदस्य के उम्मीदवार हैं।

चुनाव कोई भी हो, हस्नूराम आंबेडकरी हर बार जीत की उम्मीद में नामांकन करते हैं। 1985 से लगातार 36 सालों में 92 बार चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन उनके सिर जीत का सेहरा नहीं बंधा। 1988 में सबसे पहले राष्ट्रपति पद के लिए उन्होंने नामांकन किया, लेकिन पर्चा निरस्त हो गया।

हस्नूराम ने बताया कि वह तहसील में 1984 में सरकारी अमीन थे। तभी चुनाव लड़ने की इच्छा हुई तो एक पार्टी से टिकट मांगा। टिकट देने की बजाय उन्होंने मेरा मजाक उड़ाया, कहां तुम्हें तो तुम्हारे घर में कोई वोट नहीं देगा। तभी से हस्नूराम को चुनाव लड़ने की धुन सवार हो गई।

हस्नूराम ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और फिर सांसद, विधायक, एमएलसी, पार्षद, मेयर और जिला पंचायत चुनाव लड़ते आ रहे हैं। यह उनका 93वां चुनाव है। पहली बार उनकी पत्नी सूरमा देवी भी नगला दूल्हे खां से प्रधान का चुनाव लड़ रही हैं।

भ्रष्टाचार ही मेरा सबसे बड़ा मुद्दा- हस्नूराम

गांव दूल्हे खां निवासी हस्नूराम आंबेडकर ने कहा चुनाव में भ्रष्टाचार ही उनका सबसे बड़ा मुद्दा है। भ्रष्टाचार के कारण ही आज गांव से लेकर शहर तक बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए मोहताज हैं।