सरकारी उदासीनता है जिम्मेदार गोवंश विनाश के लिए : परमाणु वैज्ञानिक इं.विपुल सेन का साक्षात्कार

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(www.arya-tv.com)भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा संचालित भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र से वरिष्ठ परमाणु वैज्ञानिक के पद से सेवानिवृत्त प्रसिद्ध कवि और लेखक विपुल लखनवी जहां एक तरफ लखनऊ के नाम को गौरवान्वित कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ अपनी संस्था ग्रामीण आदि रिसर्च एंड वैदिक इन्नोवेशन ट्रस्ट यानी गर्वित के माध्यम से प्राचीन भारतीय ज्ञान को आधुनिक विज्ञान के माध्यम से जनमानस तक पहुंचाने का संकल्प ले चुके हैं। सनातन की सोंच को पूरी दुनिया में पहुंचाने के लिए प्रयासरत लखनवी जी वर्तमान में गौ सेवा के लिए कृत संकल्प है और मुंबई के आसपास विभिन्न गौशालाओं में जाकर वहां की समस्याओं से समाचार के माध्यम से अपने क्लिप के माध्यम से जनता को जागरूक कर रहे हैं। इसी संदर्भ में पत्रकार डॉ. अजय शुक्ला ने विपुल लखनवी जी से बेबाक बातचीत की। जो साक्षात्कार के रूप में प्रस्तुत है।

अजय शुक्ला: विपुल जी आप अपने नाम के आगे लखनवी क्यों लगाते हैं?
विपुल जी: जी मेरा जन्म और शिक्षा लखनऊ में हुई लखनऊ विश्वविद्यालय से बीएससी किया एचबीटीआई कानपुर से बीटेक एमटेक किया उसके पश्चात मुंबई में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में वैज्ञानिक अधिकारी के पद पर नियुक्ति प्राप्त की लेकिन हिंदी के प्रति बचपन से रुझान होने के कारण मुंबई के पत्र पत्रिकाओं से जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इसके अलावा बचपन से कविताएं लिखने के कारण कवि सम्मेलन से भी जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और मैंने अपना उपनाम “लखनवी” रख दिया इसके बाद सैकड़ों लेख और कविता इत्यादि छपने के बाद जनमानस विपुल लखनवी के नाम से जानने लगा। कविता की 10 किताबें भी प्रकाशित हो चुकी है। इसके अतिरिक्त में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र द्वारा प्रकाशित हिंदी वैज्ञानिक जरनल “वैज्ञानिक” का भी वर्षों तक संपादक और संयोजक रहा।

अजय शुक्ला: सरकारी नौकरी करने और सेवानिवृत्ति के बाद आराम करने के बजाए आपको ट्रस्ट बनाने की क्यों सूझी?
विपुल जी: मैं सरकारी अधिकारी होने के कारण और पहले की सरकारों के सनातन विरोधी रवैया के कारण सनातन के सारे काम छुपकर करता था। हिंदू शब्द बोला तो सांप्रदायिक हो जाता था। चैरिटी का काम तो मैं नौकरी के समय भी करता था तो बाद में लोगों ने कहा विपुल जी आप अकेले कुछ नहीं कर सकते इसलिए आपको ट्रस्ट बनाना चाहिए और उस के माध्यम से सेवा करना चाहिए। यूं समझिए जब आप ट्रस्ट बनाएंगे तब लोगों का ट्रस्ट आप पर होगा। तब मैंने बेहद कड़े नियमों के साथ ग्रामीण आदि रिसर्च एंड वैदिक इन्नोवेशन ट्रस्ट यानी गर्वित की स्थापना कर दी। जिसको रजिस्ट्रेशन के अतिरिक्त 12ए और 80जी दोनों प्रदान हो गए।

अजय शुक्ला:  गौ सेवा के अंतर्गत आप गौशालाओं का भ्रमण कर रहे हैं तो आपने क्या महसूस किया?
विपुल जी: मुझे हर गौशाला में निराशा हाथ मिली सरकार के उदासीन रवैया के कारण और स्थानीय भ्रष्ट अधिकारियों के कारण गौ सेवा के लिए आगे आना बेहद दुष्कर और कठिन कार्य है। मुंबई के आसपास सिडको जैसी संस्कारी संस्थाएं जो नगर विकास के लिए आगे आती है वह किसानों की जमीन ले तो लेती है लेकिन वहां पर रहने वाले पशुधन अथवा गोवंश के विषय में कोई ध्यान नहीं देती है जिस कारण उनको काटकर भोजन बना लिया जाता है और अप्रत्यक्ष रूप में यह सरकारी संस्थाएं कसाई सिद्ध हो रही है। वह चाहे नगरपालिका हो अथवा राज्य सरकार की अन्य संस्थाएं हो सब की सब एक प्रकार से किसी गो या पशु सेवी के कार्य में सिर्फ बाधा ही उत्पन्न करती है। स्थानीय नगरसेवक अधिकतर भवन निर्माताओं के पैसे के आगे झुक जाते हैं और तमाम प्रकार के समझौते करने लगते हैं जिसके कारण गौ सेवक निराश और हताश हो जाते हैं।

अजय शुक्ला: आप यह कैसे कह सकते हैं कोई स्पष्ट उदाहरण है क्या?
विपुल जी: उदाहरण के लिए गैर व्यवसायिक गौशाला नवी मुंबई में सीबीडी में जो स्थित है वह गुजराती ट्रस्ट द्वारा चलाई जा रही है और वह फॉरेस्ट लैंड पर है दूसरी खारघर में है जो भी सीआर जेड में है वह भी अवैध स्थान पर पनवेल की गौशाला में वह भी किसी तरीके से चलाई जा रही है। इसका कारण यह रहा की सिडको ने जब जमीन ग्रहण करी तब किसी भी प्लानिंग पर ध्यान नहीं दिया जिससे कि आवारा पशुओं को आश्रय मिल सके। और राज्य सरकार उसके तो नेताओं को सिर्फ धन चाहिए और वह कैसे भी। सभी सरकारें अनदेखी करती रही। वर्तमान सरकार से कुछ उम्मीद है देखते हैं वह क्या करती है? ठाणे महापालिका के अंतर्गत गौशालाओं में महापालिका के अधिकारियों की जेब गर्म किए बिना कुछ करना असंभव है। जो निजी रुचि से गो सेवक गौ सेवा करना चाहते हैं उनको परेशान किया जाता है? ऐसी तमाम शिकायतें मुझे प्राप्त हुई है।

अजय शुक्ला: आप इसका कारण क्या समझते हैं?
विपुल जी: सबसे बड़ा कारण तो मैंने ऊपर बता दिया की महापालिका और सरकार की ओर से कोई प्लानिंग नहीं। कोई भी सहयोग नहीं और किसी भी प्रकार की सहायता नहीं। पशु चिकित्सक बिना थैली के आता नहीं। इसके अतिरिक्त सबसे बड़ा कारण है गो सेवकों का कोई भी संगठन नहीं है। यदि कोई संगठन बन जाए तो संगठित रूप में सरकार पर दबाव बनाया जा सकता। सभी गौशाला अपनी अपनी लड़ाई अकेले लड़ रही हैं। आप खुद सोंचिए मुंबई ऐसे शहर में प्रतिदिन 70 लाख लीटर दूध की आवश्यकता पड़ती है लेकिन बाहर से केवल 38 लाख लीटर दूध आता है बाकी कहां से आता है आप सोंच लीजिए और हम क्या पी रहे हैं यह आप अनुमान लगा सकते हैं। नेता जनता को स्वस्थ रहने की सलाह दे रहे हैं लेकिन इसके लिए कुछ कर नहीं रहे हैं और स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक दूध के जानवरों को महापालिकाओं के बाहर खड़ा कर रहे हैं। एक तरह से जानलेवा नकली दूध को बढ़ावा दे रहे हैं।

अजय शुक्ला: आप सरकार को क्या सुझाव देना चाहते हैं?
विपुल जी: सबसे पहली बात जितनी गैर व्यवसायिक गौशाला अभी महापालिका के पास चल रही हो वह भले ही सरकारी जमीन पर है आप वह जमीन ट्रस्ट को लीज पर दे दीजिए। दूसरी बात उनको पानी और बिजली जैसी सुविधाएं निशुल्क दी जाएं। मुंबई के निकट नए बननेवाले नगर जैसे उलवे नोड अथवा महामुंबई जैसे नए नगरों में या फिर दिल्ली के आसपास क्षेत्रों में गौशालाओं का ध्यान रखा जाए और जमीन ट्रस्ट को गैर व्यवसायिक गौशालाओं के लिए दी जाए। आप खुद सोचिए जो गौ सेवक गोवंश को कटने से बचाते हैं उनको कहां रखा जाए। इसके अतिरिक्त गौशालाओं में अभी गोबर और गोमूत्र बरबाद जा रहा है उसको चिकित्सा के रूप में अथवा घरेलू सामग्री के रूप में बनाने के लिए सरकारी संस्थान के माध्यम से ट्रेनिंग दी जाए। कांग्रेस के एक बड़े नेता ऑस्कर फर्नांडिस ने राज्यसभा में स्टेटमेंट दिया था जिसका क्लिप नेट पर मौजूद है जब उनको कैंसर हुआ था तो गोमूत्र के सेवन से उनका कैंसर ठीक हो गया था। अमेरिका जैसी जगहों में टच काउ के नाम पर 50 डालर प्रति घंटे की दर से इंसानों को गाय के संपर्क में छोड़ा जाता है। सरकार को चाहिए जो बड़ी सोसाइटी है और जिसके पास कुछ जगह है वहां पर एक या दो गाय को पालने की अनुमति दी जाए जिसको सहलाकर मनुष्य स्वस्थ और निरोगी बने। मुंबई जैसी महापालिकाओं में नगर महापालिका के क्षेत्र में कोई गाय दिखती है तो उसके मालिक पर जुर्माना लगा दिया जाता है।

अजय शुक्ला: इस विषय में आप की क्या योजना है?
विपुल जी: मैं पशु संरक्षण के लिए अपने स्वयं के संसाधनों के माध्यम से जन आंदोलन पैदा करने का प्रयास कर रहा हूं। जब तक ने शोर नहीं होगा तब तक कोई भी सरकार अथवा अधिकारी उनके कानों में जूं नहीं रेगेंगी। आप जैसे पत्रकारों का सहयोग मिलता है जिसके कारण जन आंदोलन को सहायता मिलेगी इसके अलावा क्लिप के माध्यम से मैं लोगों को समझाता हूं। राष्ट्रीय स्तर पर गोवंश संरक्षण संस्था निर्माण करने का विचार है आपका सहयोग चाहिए। अधिक से अधिक गो वंश के संपर्क में जाएं जिससे वह निरोगी हो उनका तनाव दूर हो और उनको स्वस्थ जीवन प्राप्त हो। पंचगव्य के द्वारा सभी निरोगी हो बस यही इच्छा है और इस दिशा में हर तरीके का प्रयास कर रहा हूं। आगे तो प्रभु की इच्छा है क्योंकि सब तरफ भ्रष्टाचार नजर आता है ईमानदार तो इक्का-दुक्का दिखते हैं।

अजय शुक्ला: विपुल जी मैं आपको आश्वासन देता हूं मेरी तरफ से आपको इस आंदोलन में पूरा सहयोग मिलेगा। बहुत-बहुत धन्यवाद।
विपुल जी: आपका सहयोग तो सनातन के हर कार्य में मिल जाता है इसके लिए आपका आभार और धन्यवाद।