अमेरिका में अबॉर्शन पर फिर हंगामा:जज ने गर्भनिरोधक दवा पर लगाई रोक

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(www.arya-tv.com) अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में देश के 50 साल पुराने गर्भपात के संवैधानिक अधिकार का फैसला पलट दिया था। वो विवाद अभी तक नहीं थमा है कि शुक्रवार को वहां के टेक्सास राज्य के एक फेडेरेल जज ने गर्भ निरोधक दवा माइफप्रिस्टोन के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाने का शुरूआती फैसला सुनाया दिया। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक जिस जज मैथ्यू कासमारिक ने ये फैसला सुनाया है उसे पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने नियुक्त किया था।

जज ने गर्भनिरोधक दवाओं पर अपनी राय 67 पेजों में लिखकर दी है। इस फैसले से अमेरिका के जिन राज्यों में गर्भपात पर पाबंदी नहीं लगी थी, वहां की महिलाओं के लिए भी अबॉर्शन मुश्किल हो जाएगा। जज ने अमेरिका के फूड एंड ड्रग डिपार्टमेंट को इस फैसले के खिलाफ दूसरी कोर्ट में जाने के लिए 7 दिन का समय दिया है।

ओबामा के नियुक्त किए जज ने फैसला पलटा
एक तरफ जहां ट्रम्प के नियुक्त किए टेक्सास के फेडरेल जज ने गर्भपात के खिलाफ फैसला सुनाया है। वहीं, इसी फैसले को वॉशिंगटन में ओबामा के नियुक्त किए जज ने एक घंटे में पलट दिया। इन्होंने कहा कि अमेरिका के 17 राज्यों में पहले की तरह ही माइफप्रिस्टोन नाम की गर्भनिरोधक दवा का इस्तेमाल किया जा सकता है। दरअसल, अमेरिका में गर्भपात के लिए इस दवा का इस्तेमाल 20 सालों से जारी है। बीबीसी के मुताबिक दोनों जजों के फैसले परस्पर विरोधी होने के चलते मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचना तय है।

गर्भपात विरोधियों ने दायर की थी याचिका
दरअसल, गर्भपात विरोधी समूह ने टेक्सास में दायर याचिका में गर्भपात की दवा को हानिकारक बताया था। जिसके बाद जज कासमारिक ने कहा था कि अमेरिका के फूड और ड्रग विभाग ने सही जांच किए बिना इसके इस्तेमाल की मंजूरी दे दी थी।

FDA ने 2020 में इसे मंजूरी देने से पहले इस पर 4 साल लगा दिए। उन्होंने यह भी कहा कि FDA ने महिलाओं की मानसिक स्थिति पर होने वाले असर का भी ठीक से आंकलन नहीं किया । जबकि, FDA ने 2020 में इस दवा को मंजूरी देने से पहले इस पर 4 साल लगा दिए।

‘जज का फैसला राजनीति से प्रेरित’
अमेरिका की मेनस्ट्रीम मेडिकल संस्थाएं इस दवा के पूरी तरह से सेफ होने का दावा करती आ रही हैं। जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर एलीसन व्हेलन ने कहा कि जज ने फैसले में बार-बार फीटस (भ्रूण) शब्द की जगह पैदा नहीं हुआ इंसान शब्द का इस्तेमाल किया। ये भड़काने वाली बात है। इससे साफ होता है कि उनका फैसला राजनीति से प्रभावित है। वो उस दक्षिण पंथी लॉबी की भाषा बोल रहे हैं जो महिलाओं के गर्भपात के अधिकार के खिलाफ हैं।