जी-20 के एक निमंत्रण पत्र को लेकर विवाद, देश का नाम इंडिया से भारत करने मे आ सकता है इतना खर्चा

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(www.arya-tc.com) देश में जी-20 शिखर सम्मेलन (G20 Summit 2023) की तैयारियां जोरों पर हैं। इस बीच राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के एक निमंत्रण पत्र को लेकर विवाद हो गया है। राष्ट्रपति ने जी-20 के डिनर के लिए यह निमंत्रण पत्र भेजा है। इसमें प्रेजिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेजिडेंट ऑफ भारत लिखा गया है। इसी से देश की राजनीति गरमाई हुई है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार देश का नाम इंडिया से बदलकर भारत करना चाहती है।

सरकार ने इसी महीने संसद का विशेष सत्र बुलाया है। दावा किया जा रहा है कि इसमें इंडिया का नाम बदलकर भारत रखने के लिए एक प्रस्ताव लाया जा सकता है। एक अनुमान के मुताबिक अगर देश का नाम बदला जाता है तो उस पर करीब 14,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च आ सकता है।

अब तक कई देश अपना नाम बदल चुके हैं। हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका ने 1972 में अपना नाम बदला था। पहले इसे सीलोन के नाम से जाना जाता था। इसी तरह 2018 में अफ्रीकी देश स्वाजीलैंड ने अपना नाम बदलकर इस्वातिनी (Eswatini) कर दिया था। स्वाजीलैंड के राजा को लगा कि स्वाजीलैंड नाम औपनिवेशिक काल की याद दिलाता है।

तब दक्षिण अफ्रीका के एक वकील डैरेन ओलिवियर (Darren Olivier) ने किसी देश का नाम बदलने की प्रक्रिया में आने वाले खर्च को निकालने के लिए एक फॉर्म्युला निकाला था। उन्होंने इसकी तुलना किसी बड़ी कंपनी की रिब्रांडिंग एक्सरसाइज से की थी और इस आधार पर कुल खर्च निकाला था।

कितना आ सकता है खर्च

ओलिवियर के मुताबिक किसी बड़ी कंपनी की एवरेज मार्केटिंग कॉस्ट उसके कुल रेवेन्यू का करीब छह फीसदी होता है। रिब्रांडिंग में कंपनी की कुल कॉस्ट उसके ओवरऑल मार्केटिंग बजट का 10 परसेंट तक जा सकती है। इसके मुताबिक उन्होंने स्वाजीलैंड का नाम बदलने पर कुल छह करोड़ डॉलर का खर्च आने का अनुमान लगाया था। ओलिवियर ने इसके लिए स्वाजीलैंड के रेवेन्यू को इस्तेमाल किया था। अब अगर भारत के मामले में यही फॉर्म्युला लगाया जाए तो नाम बदलने का खर्च कितना होगा।

फाइनेंशियल ईयर 2023 में देश का रेवेन्यू 23.84 लाख करोड़ रुपये रहा। इसमें टैक्स और नॉन-टैक्स रेवेन्यू शामिल है। ओलिवियर के फॉर्म्युला के हिसाब से इंडिया का नाम बदलकर भारत करने में करीब 14,304 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इससे एक महीने के लिए 80 करोड़ लोगों का पेट भरा जा सकता है। सरकार फूड सिक्योरिटी प्रोग्राम पर हर महीने करीब 14,000 करोड़ रुपये खर्च करती है। देश में हाल के वर्षों में कई शहरों के नाम बदले गए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने में 300 करोड़ रुपये से अधिक खर्च आया था।