अयोध्या में भगवान को भी लगने लगी गर्मी:फूलों के महल के साथ लगे एसी

# ## UP

(www.arya-tv.com) भीषण गर्मी का असर हम पर ही नहीं भगवान पर भी पड़ रहा है। अयोध्या में भगवान को इससे बचाने के लिए उन्हें फूलों के महल में बैठाकर राहत दी जा रही है। इसके अलावा उन्हें शिकंजी, लस्सी, दही, शरबत और फलों का भोग लगाया जा रहा है। उन्हें चंदन, हार और वस्त्र में भी मौसम के अनुसार परिवर्तन किया गया है।

ज्येष्ठ माह से ही अयोध्या के मंदिर में भगवान के दरबार को बेला,चमेली,जूही,गेंदा,रजनीगंधा और रात रानी आदि अनेक प्रकार के सुगंधित फूलों से झांकी सजाई जा रही है। यह सिलसिला सावन तक चलेगा।इसके अलावा भगवान को सूखे मेवे, सौंफ और चिरौंजी सहित दूध से बनी ठंडई, मलाईदार लस्सी और फल के साथ जूस दी जा रही है। भगवान को मौसम के अनुकूल रेशमी वस्त्र पहनाए जा रहे हैं।

श्रीरामवल्लभाकुंज के प्रमुख स्वामी राजकुमार दास कहते हैं कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद देवताओं की मूर्ति को भी मनुष्य की तरह भूख,प्यास ठंडी और गर्मी आदि महसूस होता हैं। इसका अनुभव तपस्वी संतों को समय-समय पर स्वप्न और अन्य माध्यमों से मिलता रहा है। यही अनुभव परंपराओं में बदल गईं। जिनका पालन हम सब करते आ रहे हैं।

उन्होंने बताया कि श्रीरामवल्लभाकुंज के गर्भृगृह में भगवान को गर्मी से बचाने के लिए एसी लगी हुई। उन्हें रेशमी वस्त्र पहनाए जा रहे हैं। भगवान को बेल और आम आदि के शरबत, खस, सौंफ और सूखे मेवे से बनी ठंडई और गिरि गाय के दूध से बनी मलाईदार लस्सी की सेवा की जा रही है। भगवान को कुमकुम और कपूर मिला हुआ मलयागिरि चंदन लगाया जा रहा है। शीतल जल से स्नान के साथ बेला आदि की माला और भोजन में मौसम का ध्यान रखा जा रहा है। भगवान के जागरण और शयन के समय में भी परिवर्तन किया जाता है।

रामलला के अर्चक संतोष कुमार तिवारी ने बताया कि भगवान रामलला की सेवा के लिए एसी लगा हुआ है। समय-समय पर फूलों की झांकी सजाई जाती है। रोज बेला आदि के फूल और माला और इत्र से भगवान की सेवा हो रही है। मौसम के अनुसार वस्त्र और भोजन के साथ शीतल जल और रोज 5 किलो दही और दूध की रबड़ी का भोग लगाया जा रहा है।

इसी तरह कनक भवन, हनुमानगढ़ी, मणिराम दास छावनी, जानकी महल ट्रस्ट,राम हर्षण कुंज, राज सदन, दंत धावन कुंड, लक्ष्मण किला, हनुमत निवास, सियाराम किला, हनुमत सदन,कोसलेश सदन, नागेश्वर नाथ मंदिर, राजगोपाल मंदिर और कालेराम मंदिर आदि स्थानों में भगवान की सेवा मौसम के अनुसार बदली हुई है।