(www.arya-tv.com) अक्षय कुमार इन दिनों अपनी अपकमिंग एक्शन-कॉमेडी फिल्म ‘बच्चन पांडे’ को लेकर चर्चा में बने हुए हैं। वहीं इस साल उनकी हिस्टोरिकल जॉनर की ‘पृथ्वीराज’ भी आ रही है। इस फिल्म में 11वीं सदी की दिल्ली, कन्नौज और अजमेर को रीक्रिएट किया गया है। वहां के आलीशान महलों का ढांचा मुंबई में बनाया गया।
संजय दत्त इसमें पावरफुल कैरेक्टर में
फिल्म से जुड़े सूत्रों ने बताया, “कहानी के हिसाब से इसमें कुल 7 महलों के विशालकाय सेट क्रिएट किए गए हैं। इस पर तकरीबन 18 से 20 करोड़ रुपए खर्च हुए। संजय दत्त इसमें पावरफुल कैरेक्टर में हैं। वो सम्राट पृथ्वीराज चौहान के चाचा और तब के शक्तिशाली सामंत काका कन्ह के रोल में हैं। ‘पृथ्वीराज’ में संजय दत्त का पॉजिटिव रोल है।
सूत्रों ने आगे बताया, “वहीं संजय दत्त फिल्म मेकर आदित्य चोपड़ा की ही ‘शमशेरा’ में निगेटिव रोल में हैं। वहां वो ब्रिटिश हुकूमत के जमाने के जेलर के रोल में हैं। रणबीर कपूर उसमें अपने पिता की मौत का बदला लेते नजर आएंगे। रणबीर कपूर जरूर इस बीच वीकेंड पर टी सीरीज ऑफिस गए। वो वहां टीसीरीज की अगली प्रोडक्शन ‘एनिमल’ की शूट शुरू करने वाले हैं। वो हाल तक लव रंजन की श्रद्धा कपूर स्टारर फिल्म की शूटिंग में भी बिजी रहें हैं। संजय दत्त की भी टीसीरीज के साथ ‘तुलसीदास जूनियर’ आने वाली है। उसमें संजय स्नूकर प्लेयर बने हैं।
‘पृथ्वीराज’ में काका कन्ह के रोल में नजर आएंगे संजय
‘पृथ्वीराज’ में संजय दत्त का किरदार शूरवीर योद्धा काका कन्ह का है। उनके बारे में कहा जाता था कि उनकी आंखों पर पट्टी बांध कर रखी जाती थी। गुस्सा आने पर काका कन्ह आंखों से वो पट्टी उतार लेते थे। उसके बाद वो जंग के मैदान में किसी भी तरह का कहर बरपा सकते थे। इसलिए भी उनका नाम काका कन्ह था।
इस किरदार के लिए वेट गेन भी किया
सूत्र बताते हैं कि इस फिल्म की तैयारियों के लिए अक्षय कुमार ने भी अपनी बाकी फिल्मों के मुकाबले अतिरिक्त मेहनत की। पृथ्वीराज के रोल में डिक्शन में कोई त्रुटि न हो, उसके लिए अक्षय कुमार ने अलग से वर्कशॉप अटेंड की। मूवी की शूटिंग शुरू होने से पहले रिसर्च रेकी महीने भर चली थी। फिल्म में जितने भी युद्ध वाले सीन हैं, वो अक्षय ने 500 से 700 जूनियर आर्टिस्टों के साथ फिल्माए। खासकर संयोगिता के स्वयंवर और अश्वमेघ यज्ञ वाले सीन्स में। सब हैरान थे कि अक्षय कुमार ने महीना भर कैरेक्टर की तैयारी में दिया था। उन्होंने इस किरदार के लिए वेट गेन भी किया। उन्होंने भारी भरकम तलवार से फाइट सीन्ह भी शूट किए।
एक-एक महल के सेट की ऊंचाई 50 फीट की रखी गई
इस फिल्म में स्क्रिप्ट की डिमांड के तहत सात से 7 विशालकाय महलों की जरूरत थी। वो मुंबई की फिल्मसिटी के बजाय दहिसर के एक बड़े ग्राउंड में क्रिएट किए गए। उसकी एक और वजह यह भी कि उन दिनों फिल्मसिटी के ज्यादातर ग्राउंड और स्टूडियोज ऑलरेडी बुक थे। लिहाजा दहिसर के सिंटे ग्राउंड में चौहान, जयचंद और 11वीं सदी के तब के राजाओं के महल बनवाए गए थे।
एक-एक महल के सेट की ऊंचाई 50 फीट की रखी गई। आदित्य चोपड़ा के साफ निर्देश थे कि लोकेशन पर कहीं ग्रीन क्रोमा यूज नहीं किया जाएगा। वो चाहते थे कि महलों की भव्यता के साथ कोई समझौता न हो। सिर्फ टॉप व्यू एंगल वाले शॉट्स के लिए ग्रीन क्रोमा यूज किए जाएंगे। लिहाजा महलों का कोना-कोना रीक्रिएट हुआ। महलों में असली मार्बल, स्टोन और शैंडलियर लगाए गए। कुल 7 से 8 महीनों तक 900 कामगारों ने मिलकर उन महलों को खड़ा किया।